उल्लेखनीय है कि महासमुंद जिले के पिथौरा थाना क्षेत्र के ग्राम किसनपुर उप स्वास्थ्य केन्द्र के सरकारी आवास में रह रही महिला स्वास्थ्य कर्मी योगमाया साहू, उसके पति चेतन साहू, दो बच्चों तन्मय और कुणाल की निर्मम हत्या कर दी गई थी। 31 मई 2018 को पिथौरा पुलिस को घटना की सूचना मिली। पूरे परिवार की हत्या पर क्षेत्र में हड़कंप मच गया था।
CG Crime News: हाईकोर्ट ने रखा यथावत
पुलिस ने जांच में मृतका योगमाया के हाथ में मिले बाल सहित अन्य साक्ष्य एकत्र किए। गांव में कैंप कर जांच प्रारंभ की। इसमें पुलिस को यह जानकारी मिली कि घटना की रात को गांव के धर्मेंद्र बरिहा को
स्वास्थ्य केन्द्र के पास पेड़ के नीचे खड़े हुए देखा गया था। पुलिस ने उसे हिरासत में लिया। उसके माथे और अन्य जगह चोट के निशान थे। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि वह चोरी की नियत से घर में घुसा था। मृतका ने विरोध कर झुमा झटकी की। इससे उसे चोट लगी।उसने हत्या करने की बात स्वीकारी।
अपराध में शामिल व्यक्ति ने ही पुलिस को दी थी सूचना: इस दिल दहलाने वाली घटना में शामिल सुरेश खुंटे ने पुलिस को गुमराह करने के लिए दूसरे दिन पिथौरा थाने में उपस्थित होकर हत्या की सूचना दी थी। इस कारण से
पुलिस को उस पर कोई संदेह नहीं हुआ। लेकिन नार्को टेस्ट में उसका भी नाम आया। इसके बाद सीबीआई ने उसे हिरासत में लेकर अन्य साक्ष्य एकत्र किए और उसे सजा दिलाई।
सीबीआई जांच, डीएनए व नार्को टेस्ट में पुष्टि
पुलिस ने योगमाया के हाथ में मिले बालों का डीएनए टेस्ट कराया। इसमें उक्त बाल धर्मेन्द्र बरिहा के पाए गए। उससे चोरी किए गए जेवर, नगद रकम भी जब्त की गई।
पुलिस ने प्रारंभ में आरोपी के खिलाफ धारा 302 के तहत अपराध पंजीबद्ब कर न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया था। मामले में मृतकों के परिवार वालों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मामले की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की भी मांग की। जस्टिस गौतम भादुड़ी ने सीबीआई जांच का आदेश दिया।
सीबीआई ने आरोपी धर्मेंद्र बरिहा का नार्को टेस्ट कराया। इसमें आरोपी ने वारदात में सुरेश खुंटे, गौरीशंकर कैवर्त, फूल सिंह यादव, अखंड प्रधान के शामिल होने व सामान के बंटवारे की जानकारी दी। सीबीआई ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर मृतक के घर से चोरी किया गया सामान जब्त किया। मामले में
महासमुंद जिला एवं सत्र न्यायालय ने आरोपियों को धारा 302 में आजीवन कारावास, 460 में 10 वर्ष, 396 में 10 वर्ष एवं 201 में 5 वर्ष कैद की सजा सुनाई। सजा के खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील की थी। कोर्ट ने आरोपियों की अपील खारिज कर जिला न्यायालय के आदेश को यथावत रखा है।