नलकूपों व बांधों में पर्याप्त पानी की उपलब्धता के कारण इस साल अधिकांश किसानों ने गेहूं की बुवाई की है। जानकारी के अनुसार क्षेत्र में इस साल मानसून के दौरान औसत से ज्यादा बारिश हुई और भूमिगत जल का स्तर काफी ऊपर आ गया है। इससे पूर्व 2003 में किसानों को रबी की फसलों के लिए चार बार नहरी पानी मिला था। अच्छी बारिश व जल स्तर बढ़ने से इस साल अधिकांश किसानों ने सरसों व चना की जगह गेहूं की फसलें बोई है। कृषि विभाग के सूत्रों के अनुसार गत वर्ष के मुकाबले इस साल गेहूं का रकबा लगभग दुगना हो गया है साथ ही सरसों व चना की बुवाई 35 प्रतिशत रह गई है।
नहरें पक्की होने से रुकी पानी की बर्बादी
भीमलत अभयपुरा सिंचाई परियोजना की दायीं व बायीं मुख्य नहरों व वितरिकाओं की मरम्मत होने से नहरी पानी की बर्बादी रुकी है। साथ ही नलकूपों की संख्या बढ़ने, खेतों का समतलीकरण होने व मावठ होने से भी नहरी पानी की बचत हुई है।
भरा है 19 फीट पानी
अच्छी बरसात के चलते इस साल बांध व जलाशयों में भी सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध है। जल संसाधन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार बुधवार सुबह तक 26 फीट भराव क्षमता वाले अभयपुरा बांध में 29.70 फीट पानी उपलब्ध है। इस पानी से बाँयी मुख्य नहर में करीब एक पखवाड़े तक जल प्रवाह होने की संभावना है। बीच में दो बार हल्की मावठ होने व ओंस अधिक पड़ने से पानी की बचत हुई है। अभी सिंचाई के लिए चौथे पानी की उपलब्धता के कारण गेहूं की अच्छी पैदावार होने की संभावना है।
22 साल बाद यह पहला मौका है। जब किसानों को भीमलत अभयपुरा बांध की नहरों में सिंचाई के लिए चौथी बार पानी मिल रहा है। नहरी पानी को लेकर किसानों में जागरूकता भी बढ़ी है।
कैलाश सोमाणी, अध्यक्ष माइनर 3 व 4
भीमलत अभयपुरा बांध में इस साल पर्याप्त जलराशि का लाभ किसानों को चौथे नहरी पानी के रूप में दिया जा रहा है। पानी की बर्बादी रोकने के लिए जल उपयोक्ता संगमों के सहयोग से नियमित गश्त की जा रही है।
राजकुमार वर्मा, कनिष्ठ अभियंता, जल संसाधन विभाग,बूंदी