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अधिकारी बेखबर: नरेगा स्थल पर दवा और छाया- पानी का नहीं हो रहा इंतजाम

तालेड़ा उपखंड के 106 गांव में मनरेगा के अंतर्गत वर्तमान में 80 हजार 258 श्रमिक भीषण तपती दोपहर में काम करने को मजबूर है।

बूंदीMay 25, 2025 / 06:03 pm

पंकज जोशी

अधिकारी बेखबर: नरेगा स्थल पर दवा और छाया- पानी का नहीं हो रहा इंतजाम

सुवासा. बाजड पंचायत के छपावदा गांव में छाया पानी की व्यवस्था नहीं होने से विरोध जताते श्रमिक।

सुवासा. तालेड़ा उपखंड के 106 गांव में मनरेगा के अंतर्गत वर्तमान में 80 हजार 258 श्रमिक भीषण तपती दोपहर में काम करने को मजबूर है। और कार्य स्थल पर मोबाइल के टावर कम आने पर ऑनलाइन हाजिरी श्रमिकों की समस्या बनी हुई है श्रमिकों की हाजिरी रोजाना मेट के द्वारा दो बार सुबह व दोपहर को ऑनलाइन मोबाइल से फोटो खींच एप के माध्यम से अपलोड करनी पड़ती है।
मोबाइल में टावर काम आने से कई श्रमिकों के मोबाइल में फोटो अपलोड नहीं होने पर उन्हें बिना कार्य किए घर जाना पड़ रहा है। तालेड़ा उपखंड की बाजड पंचायत में बजरंग सिंह के मकान से भूतियों की ड्रेन पेट्रोल पंप तक चल रही ड्रेन खुदाई के दौरान अव्यवस्था देखने को मिली कार्यस्थल पर 105 श्रमिक कार्य कर रहे हैं, जहां पर छोटे बच्चों के लिए झूला, छाया, पानी व दवा की कोई व्यवस्था नजर नहीं आई, जिससे श्रमिक परेशान नजर आए। तेज गर्मी व लू के चलते श्रमिक नरेगा समय कम कराने की मांग कर रहे हैं। भीषण गर्मी के दौर में तापमान 45 डिग्री पार कर रहा है।
जहां हर किसी की हालत खराब है। इस दौरान श्रमिकों को विश्राम करने के लिए टेंट भी नसीब नहीं हो रहा है। और खेतों में छायादार पेड़ भी नहीं है। ऐसे में उन्हें भीषण गर्मी में आराम करने के लिए पेड़ों की तलाश करनी पड़ती है, जिसके लिए उन्हें काफी दूर जाना पड़ता है।। इन श्रमिकों पर अधिकारियों का ध्यान तक नहीं है। नरेगा में कार्य कर रहे किशन लाल, मदनलाल, शिवराज, भेरूलाल ने बताया कि नरेगा स्थल पर छाया, पानी व छोटे बच्चों के पालने की कोई व्यवस्था नहीं है। उल्टी दस्त हो जाने पर प्राथमिक उपचार किट भी उपलब्ध नहीं है पीने का पानी भी घर से लाना पड़ता है नरेगा में पानी की अलग से कोई व्यवस्था नहीं है घर से लाया गया पानी भी एक घंटे में गर्म हो जाता है। प्रशासन को चाहिए की नरेगा स्थल पर छाया पानी की व्यवस्था करें। और तेज गर्मी को देखते हुए नरेगा का समय कम करने की मांग की है।
बैठने के लिए कोई व्यवस्था नहीं
सरकार ने छाया पानी की पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दे रखे हैं, लेकिन कार्य स्थल पर कोई व्यवस्था नहीं है अधिकांश ग्राम पंचायत में टेंट फट गए हैं और कई पंचायत में टेंट भी नहीं है। कार्यस्थल पर दवाइयां भी उपलब्ध नहीं है। छाया पानी की व्यवस्था तो किसी भी मनरेगा स्थल पर दिखाई नहीं पड़ रही है। दोपहर 10 से तेज लूं चलना शुरू हो जाती है। ऐसे में श्रमिकों का कार्य करना मुश्किल हो रहा है। महिला मजदूरों ने बताया कि उनकी कोई सुन नहीं रहा है।
पंचायत की जिम्मेदारी
मनरेगा में छाया पानी की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत को दे रखी है। वर्तमान में 106 ग्राम पंचायत में 80 हजार 258 श्रमिक कार्य कर रहे हैं। फिर भी दवा, छाया, पानी की व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए ग्राम पंचायत को निर्देश दे रखे हैं पानी के लिए 20 श्रमिक में एक श्रमिक पानी की व्यवस्था में लगाया जा सकता है। जहां पर टेंट की व्यवस्था नहीं है पंचायत अपने स्थल पर इसकी व्यवस्था करें।
नीता पारीक, विकास अधिकारी तालेड़ा।
पंचायत में टेंट की व्यवस्था नहीं
इलाज की व्यवस्था की जिम्मेदारी चिकित्सा विभाग की है। हमारे पास टेंट की कोई व्यवस्था नहीं है। श्रमिक जहां छाया मिलती है, वहां पर ही आराम करते हैं। नरेगा में पानी लाने के लिए अलग से व्यवस्था नहीं है। श्रमिक अपने हिसाब से ही पानी की व्यवस्था करते है। पानी के लिए हमारे पास अलग से फंड नहीं है। और सरकार हमें टेंट दे देगी तो हम श्रमिकों को उपलब्ध करा देंगे ।
नाथू लाल बैरवा, पंचायत प्रशासक बाजड़
हमारे पास टेंट की कोई व्यवस्था नहीं है। और पानी के लिए अलग से मजदूर भी नहीं है। सभी श्रमिकों को घर से ही पानी लेकर आना पड़ रहा है। सरपंच आदेश करेंगे तो पानी की व्यवस्था कर दी जाएगी। वहीं मोबाइल में टावर कम आने से ऑनलाइन हाजिरी भरने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।
अशोक कुमार, मेट

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