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छतरपुर

जिले के दूरस्थ अंचल के 9 उपस्वास्थ्य केंद्रों के भवन बने लेकिन स्टाफ नहीं मिला, दो साल से लगा ताला

गौरिहार ब्लॉक के अंतर्गत आने वाली पंचायतों के लोगों को स्वास्थ्य लाभ देने के लिए बनाए गए उपस्वास्थ्य केंद्रों में पिछले दो साल से ताले लटके हुए हैं। यहां कर्मचारियों की कमी और उपस्वास्थ्य केंद्रों का संचालन न होने के कारण स्थानीय लोग छोटी-मोटी बीमारियों के इलाज के लिए महोबा और बांदा जैसे पड़ोसी जिलों के अस्पतालों का रुख कर रहे हैं।

छतरपुरFeb 04, 2025 / 10:23 am

Dharmendra Singh

chc gourihar

गौरिहार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र

छतरपुर. गौरिहार ब्लॉक के अंतर्गत आने वाली पंचायतों के लोगों को स्वास्थ्य लाभ देने के लिए बनाए गए उपस्वास्थ्य केंद्रों में पिछले दो साल से ताले लटके हुए हैं। यहां कर्मचारियों की कमी और उपस्वास्थ्य केंद्रों का संचालन न होने के कारण स्थानीय लोग छोटी-मोटी बीमारियों के इलाज के लिए महोबा और बांदा जैसे पड़ोसी जिलों के अस्पतालों का रुख कर रहे हैं।

स्टाफ नहीं होने से बंद पड़े उपस्वास्थ्य केंद्र


जिले के दूरस्थ इलाके में स्थित गौरिहार ब्लॉक में 34 उपस्वास्थ्य केंद्र बनाए गए थे, जिनमें से 9 केंद्रों में सीएचओ, एमपीडब्ल्यू और एएनएम जैसे स्वास्थ्य कर्मचारियों की नियुक्ति न होने के कारण यह केंद्र पूरी तरह से बंद पड़े हैं। इनमें रेवना, ठकुरी, पहरा, रामपुर, कदेला, कौथेहा, नांद, बिगपुर और बदौरा गांवों के केंद्र शामिल हैं। इन केंद्रों का उद्देश्य था, ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना, लेकिन दो साल से यहां कर्मचारियों का अभाव है।

स्वास्थ्य सेवाओं का आभाव


ग्रामीणों का कहना है कि, इन केंद्रों का निर्माण कार्य 4-5 साल पहले किया गया था, ताकि स्वास्थ्य सुविधाएं गांव के पास उपलब्ध हो सकें। इन केंद्रों के माध्यम से लोगों को प्राथमिक उपचार जैसे सर्दी, खांसी, बुखार, जुकाम, टीकाकरण और गर्भवती महिलाओं की जांच जैसी आवश्यक सेवाएं मिलनी थीं। साथ ही, आंगनबाड़ी में बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए आवश्यक आहार और स्वास्थ्य सेवाएं भी प्रदान की जानी थीं। लेकिन, कर्मचारी न होने के कारण ये योजनाएं पूरी तरह से ठप पड़ी हैं। अब स्थानीय लोग अपनी छोटी-मोटी बीमारियों का इलाज करने के लिए महोबा और बांदा के अस्पतालों का रुख करने को मजबूर हो गए हैं, जबकि इन अस्पतालों की दूरी छतरपुर से अधिक होने के कारण यह ग्रामीणों के लिए भारी परेशानी का कारण बन गया है।

स्थानीय लोगों की शिकायत, स्थाई व्यवस्था बने


स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि वे कई बार प्रशासन और अपने जनप्रतिनिधियों से इस समस्या के समाधान की मांग कर चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। लोगों ने बताया कि, जब कभी भी स्वास्थ्य कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, तो स्थानीय आशा कार्यकर्ता और आशा सहयोगिनी के द्वारा ताले खोलकर कार्यक्रम चलाए जाते हैं, लेकिन यह अस्थायी व्यवस्था है और इससे समस्याओं का स्थायी समाधान नहीं हो रहा है।

जनप्रतिनिधियों की लापरवाही


गौरिहार ब्लॉक के कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष आकाश चौरसिया ने इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह क्षेत्र के लोगों के लिए दुर्भाग्य की बात है कि वे अपने इलाज के लिए महोबा और बांदा जैसे दूरस्थ अस्पतालों का रुख कर रहे हैं। उन्होंने कहा, यह क्षेत्र के विधायक दिलीप अहिरवार के मंत्री पद पर होने के बावजूद, इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।

सीएचएमओ की प्रतिक्रिया


इस मामले में जब सीएचएमओ डॉ. आरपी गुप्ता से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि गौरिहार ब्लॉक में उपस्वास्थ्य केंद्रों के बंद होने की जानकारी मिली है। उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्दी ही नए कर्मचारियों को पदस्थ किया जाएगा ताकि केंद्रों का संचालन शुरू हो सके।

पत्रिका व्यू


इस समय गांवों में स्वास्थ्य सुविधाओं के आभाव ने ग्रामीणों की जिंदगी को मुश्किल बना दिया है। अगर जल्द ही नए कर्मचारी नहीं नियुक्त किए जाते हैं, तो यह क्षेत्र की जनता को और अधिक परेशानी का सामना करना पड़ेगा। स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन को इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर तत्काल समाधान निकालने की जरूरत है, ताकि लोगों को उनके गांवों में ही स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें और उन्हें दूर-दराज के अस्पतालों का रुख न करना पड़े।

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