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असफलताओं से विचलित न हों, बल्कि आत्मविश्वास और धैर्य से सामना करें : राज्यपाल मंगु भाई पटेल

कुलगुरु प्रो. शुभा तिवारी ने स्वागत भाषण दिया और विश्वविद्यालय की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने अपने संबोधन में छात्रों को धैर्य रखने का महत्व बताया और कहा कि जीवन में धैर्य सबसे महत्वपूर्ण है।

छतरपुरFeb 03, 2025 / 10:14 am

Dharmendra Singh

mcbu

फोटो सेशन

छतरपुर. महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय छतरपुर में रविवार को आयोजित चौथे दीक्षांत समारोह में प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता की। इस भव्य समारोह में सारस्वत अतिथि के रूप में भारतीय नौसेना के प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी, उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार, वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री दिलीप अहिरवार और क्षेत्रीय विधायक ललिता यादव समेत कई प्रमुख लोग उपस्थित रहे।
समारोह की शुरुआत दीक्षांत शोभायात्रा से हुई, जिसके बाद राष्ट्रगान और सरस्वती वंदना का आयोजन हुआ। कुलगुरु प्रो. शुभा तिवारी ने स्वागत भाषण दिया और विश्वविद्यालय की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने अपने संबोधन में छात्रों को धैर्य रखने का महत्व बताया और कहा कि जीवन में धैर्य सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे असफलताओं से विचलित न हों, बल्कि उन्हें आत्मविश्वास और धैर्य से सामना करें। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय में डिजिटल इंडिया के तहत किए गए प्रयासों की सराहना की, जैसे कि ई-लाइब्रेरी, वर्चुअल लैब्स और थियेटर रूम की स्थापना। उन्होंने उद्यमिता को बढ़ावा देने और वंचित वर्ग के छात्रों के लिए सहायता को लेकर किए गए कार्यों का भी उल्लेख किया।
इस अवसर पर 110 छात्रों को उपाधियां प्रदान की गईं और 37 सर्वश्रेष्ठ छात्रों को स्वर्ण पदक से नवाजा गया। वहीं, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी को विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने भी अपने संबोधन में विद्यार्थियों को भारत के ज्ञान कोश पर गर्व करने का संदेश दिया और कहा कि हमारे पूर्वजों के पास ऐसी तकनीकी शक्ति थी जो आज भी दुनिया में अनमोल है।

भारत के ज्ञान कोश पर गर्व करें: उच्च शिक्षा मंत्री

उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने उद्बोधन में कहा कि महाराजा छत्रसाल ऐसे ऐतिहासिक राजा रहे जिन्होंने कभी पराजय स्वीकार नहीं की। उपाधि मिलने पर विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि भारत के ज्ञान कोश पर गर्व करे। हमारे पूर्वजों के पास ऐसे तकनीकी शक्ति थी जो किसी देश के पास नहीं थी। शोध के माध्यम से इस जान को विश्व भर में प्रसारित कर दुनिया के कल्याण का लक्ष्य है। वसुधैव कुटुम्बकम् में भारत अग्रणी स्थान हासिल किया हुआ है।

एडमिरल ने विद्यार्थियों को सफलता के तीन मूल मंत्र दिए

कार्यक्रम में सारस्वत अतिथि एडमिरल त्रिपाठी ने दीक्षांत उद्बोधन देते हुए उपस्थित विद्यार्थियों को 3 मूल मंत्र दिए। पहला कभी सीखना बंद न करे। निरंतर लर्निंग प्रोसेस को जारी रखे। दूसरा सक्सेस के लिए शॉर्ट कट्स न अपनाए एवं तीसरा पराजय को गरिमापूर्ण तरीके से स्वीकार करें और आत्मविश्वास के साथ पराजय से सीखे और आगे बढ़े।

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