नगर निगम सूखे कचरे से (कम घनत्व वाले डीजल) लाइट डेंसिटी ऑयल बनवाने की प्रक्रिया शुरू कर रहा है। इससे न सिर्फ कचरे का निपटान होगा, बल्कि निगम की कमाई भी होगी। उपयंत्री अभिनव कुमार तिवारी ने बताया कि इसके लिए एक- दो कंपनियों से बातचीत भी चल रही है। उसके बाद सप्ताह भर में निविदा भी निकाली जाएगी।
पैकेजिंग प्लास्टिक की रिसाइकिल काफी महंगी
शहर में सबसे अधिक पैकेजिंग प्लास्टिक एवं सिंगल यूज प्लास्टिक का उत्सर्जन होता है। अधिकारियों ने बताया कि पैकेजिंग प्लास्टिक में कई परत होती हैं, जिनकी रिसाइकिल काफी महंगी पड़ती है। इसकी सभी लेयर अलग-अलग पदार्थ से बनी होती है। इसे या तो उच्च क्षमता वाले बर्न यूनिट के लिए भेजा जा सकता है या फिर इससे लाइट डेंसिटी डीजल तैयार किया जा सकता है। जिले के आसपास बड़े उद्योग नहीं होने की स्थिति में इसे वर्तमान में एक कंपनी 500 रुपए प्रति टन के खर्च में जबलपुर भेज रही है, जिससे निगम का खर्च ही बढ़ा है। लेकिन, नई व्यवस्था के माध्यम से निगम को ऑयल बनवाने पर कमाई ही होगी। कंपनियों से जानकारी लेने पर बताया कि वे शहर की प्लास्टिक को दो रुपए प्रति किलो लेकर उसकी छंटाई भी करेंगी। इससे मैन पावर का खर्च भी घट जाएगा।
मिलेगा स्वच्छता सर्वेक्षण में फायदा
स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 की गाइड लाइन के अनुसार सूखे कचरे का उपयोग वेस्ट टू एनर्जी के लिए किए जाने पर रैंकिंग में फायदा हो रहा है, लेकिन यह सिर्फ कचरे के निपटान के हिसाब से लाभकारी होगा। वेस्ट टू अर्निंग के अनुसार सूखे कचरे से कमाई होने पर स्वच्छ सर्वेक्षण में और अधिक अंक मिलने की गुंजाइश बढ़ जाएगी।