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चूरू

लोक संस्कृति से सराबोर हुई सांस्कृतिक संध्या, देखें चूरू महोत्सव 2025 की शानदार तस्वीरें

बसंती बायार में चूरू महोत्सव की रंगीली सांझ में राजस्थानी लोक गीत, सपेरा नृत्य के साथ शास्त्रीय संगीत का अभिनव संगम हुआ तो दर्शकों ने भी कलाकारों को खूब प्रोत्साहित किया।

चूरूFeb 24, 2025 / 02:54 pm

Akshita Deora

Churu Mahotsav 2025: क्राफ्ट का सजा फूड बाजार, विभिन्न महिला समूहों की ओर से विभिन्न साजो समान सहित राजस्थान के कई जिलों के शिल्पियों की लगी स्टालें और रंग भरते पेंटिंग कलाकारों की कला को निहारते लोगों की कमोबेश चहलकदमी के बीच सूर्य अस्त होते ही सजी संगीत संध्या। फिर दूसरे दिन पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़, विधायक हरलाल सहारण के साथ जनप्रतिनिधयों की ओर से पहले सत्र का हुआ शुभारंभ। कुछ इस तरह चहक रहे चूरू महोत्सव में रविवार को छात्र शक्ति ने प्रतियोगिताओं के माध्यम से विविधताओं से भरी कला प्रदर्शित की।

रंग रंगीलों म्हारों प्यारो राजस्थान

बसंती बायार में चूरू महोत्सव की रंगीली सांझ में राजस्थानी लोक गीत, सपेरा नृत्य के साथ शास्त्रीय संगीत का अभिनव संगम हुआ तो दर्शकों ने भी कलाकारों को खूब प्रोत्साहित किया। पद्मश्री गुलाबों की तीसरी पीढ़ी की नृत्यांगनाओं ने लोक गीत नीबूंड़ा नीबूंड़ा और काळ्यों कूद पड़्यो मैळा में … पर नृत्य की प्रस्तुति दी तो दर्शक दीर्घा थिरक उठी। कोक स्टूडियों फेम भंवर देवी ने थौने कठे भलवा जाऊ रे सांवरीयों घट मायं और बापूजी के जीवन से जुड़ा गीत प्रस्तुत किया तो राजस्थानी लोक गायकी साकार हो उठी। पार्श्व गायक रविन्द्र उपाध्याय ने चूरू जिले की सुजला के कवि कन्हैयालाल सेठियां की रचना आ तो सुरगां नै सरमावै ई पर देव रमण आवै.. की प्रस्तुति दी तो मरुधरा झूम उठी।
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उन्होंने रंग रंगीलों प्यारो राजस्थान गीत के साथ एक से बढ़कर एक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देकर श्रोताओं को देर रात तक बांधे रखा। लोक गीतों के बीच जब कोरियोग्राफर संतोष नायर के निर्दशन में कलाकारों ने जब शास्त्री संगीत के साथ कत्थक नृत्य की प्रस्तुतियां दी तो दर्शकों ने तालियों के गड़गड़ाह से इन कलाकारों का स्वागत किया। एंकर प्रिति सक्सेना के प्रभावी संचालन में हुई यह लोक गीत संगीत और देश भक्ति से ओतप्रोत रंगीला सांझा खूब जमी।
churu mahotsav 2025

मायड़ भाषा राजस्थानी को मिले मान्यता

इस अवसर पर गायक रविन्द्र उपाध्याय ने राजस्थानी भाषा को मान्यता दिए जाने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि हम राजस्थानी जहां भी रहे अपनी मायड़ भाषा में बात करें यह जरूरी है। उन्होंने कहा पहले राजस्थान स्वयं अपनी भाषा को महत्व दें। सरकार को तो मान्यता देनी ही होगी। उन्होंने राजस्थान लोक कला संस्कृति विभाग की ओर से लोक कलकारों को संरक्षण दिए जाने पर भी जोर दिया और कहा कि यदि लोक कला को जीवित रखना है तो राजस्थान सरकार को हमारे लोक कलाकारों को संरक्षण देना ही होगा। इसलिए चूरू उत्सव जैसे आयोजन होने चाहिए ताकि कलाकार और लोक कला संरक्षित रहे।
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चूरू उत्सव कला के लिए अवदान

पहले दिन के सांस्कृतिक संध्या और दूसरे दिन के प्रथम सत्र के शुभारंभ पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि हमारी लोक कला को जीवंत बनाए रखने और विरासतीय धरोहर को संरक्षित रखने के लिए चूरू उत्सव का आयोजन आनेवाले कल के लिए कला और कलाकारों के लिए अवदान बनेगा। उन्होंने कहा कि चूरू के पं.भरत व्यास ने भारतीय सिनेमा और गीत संगीत को बहुत कुछ दिया। आजादी के दिवानों की धरा, अध्यात्म, साहित्य और कला में खास पहचान रखने वाले चूरू को इसलिए छोटी काशी कहा जाता है। कार्यक्रम में विधायक हरलाल सहारण ने विचार व्यक्त किए। राठौड़, विधायक, जिला प्रभारी सचिव भास्कर ए सांवत, जिला कलक्टर अभिषेक सुराणा, जिला प्रमुख वंदना आर्य ने प्रवासियों को गौरवश्री अवार्ड से सम्मानित किया। अतिरिक्त कलक्टर अर्पिता सोनी तथा आयुक्त अभिलाषा सिह आदि अधिकारियों ने अतिथियों का स्वागत किया।
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लोकगीत, वादन और हुई काव्य पाठ प्रतियोगिता

रविवार को प्रथम सत्र में लोकगीत, वाद्य वादन, कविता पाठ् मेहंदी, नेल आर्ट , रंगोली, विचित्र परिधान, चित्रकला, एकल नृत्य, समूह नृत्य, गायन आदि प्रतियोगिता हुई। इन प्रतियोगिता में युवा शक्ति सहित बाल शक्ति ने आकर्षक प्रस्तुतियां देकर कला के सुखद भविष्य के संकेत दिए। राजेन्द्र चौबे, मुकुल भाटी, बजरंग हर्षवाल, शिवकुमार शर्मा, प्रभुदयाल सैनी, आशा स्वामी, संतोष खेड़ीवाल, शाकीर खान, सुभाष लाटा, सुभाष शर्मा, रेणु सुईवाल तथा दिनेश प्रजापत आदि के प्रभारीत्व में हुई प्रतियोगिता में रचना कोठारी, डॉ.कमल वशिष्ठ, संगीता रोहिला, डॉ.मिनीक्षी, आरती शर्मा, राजकुमार शर्मा, नारायण शर्मा, रजीव मिश्रा, लक्ष्मी शर्मा व डॉ.पूनम हर्षवाल आदि निर्णायक रहे।
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चूरू महोत्सव में कवि सम्मेलन आज

नगर परिषद, जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन के तत्वावधान में आयोजित चूरू महोत्सव के अंतिम दिन सोमवार की शुरुआत साहित्यिक उत्सव तथा लेखक से मिलिए कार्यक्रम से होगी। शाम को सवा 6 बजे होनेवाले सांस्कृतिक कार्यक्रम में रंगकर्मी अतुल सत्य कौशिक की ओर से लाइव थियेटर तथा कवि सम्मेलन होगा। कवि सम्मेलन में लोकेश कुमार सिंह, अरुण जैमनी, अमन अक्षर, जुबेरअली तबिश, विवेक पारीक और इति शिवहरे अपनी काव्य रचनाओं की प्रस्तुतियां देंगे।
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