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लाइफ मैनेजमेंट के सर्वश्रेष्ठ गुरु: भोलेनाथ

Why is Shiva called Mahadev : भगवान शिव, जिन्हें भोलेनाथ के नाम से भी जाना जाता है, केवल एक देवता नहीं, बल्कि जीवन प्रबंधन के महान गुरु भी हैं। उनका जीवन हमें प्रेम, त्याग, सहनशीलता और समर्पण की अनमोल सीख देता है।

भारतFeb 25, 2025 / 04:02 pm

Manoj Kumar

Bholenath The Ultimate Guru of Life Management

Bholenath The Ultimate Guru of Life Management

Lord Shiva Life Management : भगवान शिव, जिन्हें भोलेनाथ (Bholenath) भी कहा जाता है, न केवल एक दिव्य शक्ति हैं बल्कि जीवन प्रबंधन के भी अद्वितीय गुरु हैं। उनका जीवन और उनसे जुड़ी कथाएं हमें कई सीख भी देती हैं।

पारिवारिक सौहार्द: Family harmony

भगवान शिव का परिवार विपरीत स्वभाव वाले प्राणियों का एक अनूठा संगम है। नंदी बैल, सर्प, चूहा, मयूर, सिंह और बिच्छू जैसे विरोधी स्वभाव के जीव भी उनके सान्निध्य में शांतिपूर्वक रहते हैं। यह हमें सिखाता है कि हमें भी अपने समाज और देश में बिना किसी भेदभाव के सभी को साथ लेकर चलना चाहिए।

शिवरात्रि का महत्व: Significance of Shivaratri

फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को शिवरात्रि मनाने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इसी दिन सृष्टि की रचना हुई थी और भगवान शिव लिंग रूप में प्रकट हुए थे। यह दिन शिव और आदिशक्ति के विवाह का प्रतीक भी है। समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को पीकर शिव ने नीलकंठ कहलाए, जो हमें त्याग और परोपकार की शिक्षा देता है।

श्मशानवासी शिव:

भगवान शिव को श्मशानवासी कहा जाता है, जो हमें संसार की नश्वरता का बोध कराता है। यह हमें सिखाता है कि हमें सांसारिक मोह-माया से दूर रहकर अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।

शिवलिंग की स्थापना:

शिवलिंग को मुख्य मंदिर के बाहर स्थापित करने का कारण यह है कि हर कोई, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, आसानी से भगवान शिव के दर्शन कर सके और अपनी पीड़ा उनसे कह सके।

बेलपत्र और जल का अर्पण:

बेलपत्र और जल भगवान शिव को प्रिय हैं। बेलपत्र में तीन पत्तियां त्रिदेव, तीन गुण या तीन ध्वनियों का प्रतीक हैं। समुद्र मंथन के दौरान विष पीने से उत्पन्न गर्मी को शांत करने के लिए देवताओं ने भगवान शिव को बेलपत्र और जल अर्पित किया था।

शिव को महादेव क्यों कहते हैं?

भगवान शिव को महादेव कहा जाता है क्योंकि वे त्याग, तपस्या, धीरज, उदारता और सहनशीलता के प्रतीक हैं। उन्होंने विष को अपने भीतर रखकर दूसरों को अमृत दिया और विपरीत परिस्थितियों में भी अपने परिवार को एकजुट रखा।

भांग-धतूरा का अर्पण:

भगवान शिव को भांग-धतूरा अर्पित करने का अर्थ है अपनी बुराइयों को भगवान को समर्पित करना और उन्हें त्यागने का संकल्प लेना।

मृगछाल को धारण करना

भगवान शिव मृगछाल धारण करते हैं, जो अपरिग्रह का प्रतीक है। इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि आवश्यकता से अधिक वस्तुओं का संग्रह नहीं करना चाहिए।

नंदी बैल का महत्त्व:

नंदी बैल भगवान शिव का वाहन है, जो समर्पण और शक्ति का प्रतीक है। नंदी की कथा हमें भगवान शिव के प्रति अटूट भक्ति और समर्पण की प्रेरणा देती है।
क्या है सीख
भगवान शिव का जीवन हमें सिखाता है कि हमें विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य और साहस बनाए रखना चाहिए। हमें अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए दूसरों की मदद करनी चाहिए और सभी के साथ प्रेम और सद्भाव से रहना चाहिए। भगवान शिव की शिक्षाएं हमें एक बेहतर इंसान बनने और एक सुखी और समृद्ध जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं।
डॉ. जे. के. गर्ग

पूर्व संयुक्त निदेशक, कॉलेज शिक्षा, जयपुर

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