फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी यानी 26 फरवरी को इस बार महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएग। सनातन धर्म में कहा गया है कि इस दिन भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। जिस कारण शिव भक्त इन दिन को महाशिवरात्रि के रूप में मनाते हैं। महाशिवरात्रि पर को लेकर भी शहर में तैयारियां प्रारंभ हो चुकी हैं। शहर के प्रमुख चोपड़ा मंदिर में भी इस दिन कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। तो वहीं सुबह से ही भगवान शिव का रुदभिषेक के साथ पूजन-अर्चन होगा। तो वहीं शहर के अन्य शिवालयों में भी रंगाई और पुताई का कार्य भी प्रारंभ हो गया है। 26 फरवरी को सुबह 11.08 बजे से चतुर्दशी तिथि की शुरुआत होगी जिसका समापन 27 फरवरी सुबह 8.54 बजे होगा। महाशिवरात्रि पर निशा काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है।
लेकिन इस बार शिवभक्तों के लिए यह शिवरात्रि का पर्व अमूल्य होने वाला है। क्योंकि इस दिन 60 साल बाद तीन ग्रहों की युति का संयोग बन रहा है। जिसमें सूर्य, बुध और शनि कुंभ राशि में एक साथ गोचर करेंगे। लाडली जगमोहन के महंत कृष्णदास ने बताया कि इससे पहले ऐसा वर्ष 1965 में हुआ था जब महाशिवरात्रि के दिन सूर्य, बुध और शनि कुंभ राशि में गोचर कर रहे थे। इस महाशिवरात्रि 26 फरवरी को भी मकर राशि के चंद्रमा की उपस्थिति में यही तीन ग्रह युति बनाएंगे। सूर्य और शनि पिता-पुत्र है और सूर्य शनि की राशि कुंभ में रहेंगे। यह एक विशिष्ट संयोग है।
समयानुसार चार प्रहर की पूजा प्रथम प्रहर: शाम 6.19 से रात 9.30 बजे तक।द्वितीय प्रहर: रात 9.30 से मध्यरात्रि 12.35 बजे तक। तृतीय प्रहर: मध्यरात्रि 12.35 से 27 फरवरी सुबह 3.41 बजे तक।चतुर्थ प्रहर: 27 फरवरी सुबह 3.41 से 6.45 बजे तक।