3 घंटे तक चली सर्जरी
5 फरवरी को हुई यह सर्जरी करीब तीन घंटे तक चली, जो सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. आरएन यादव द्वारा की गई। उनके साथ एनेस्थीसिया के प्रोफेसर डॉ. शाहबाज अहमद की टीम मौजूद रही। डॉ. यादव के मुताबिक, सर्जरी के लिए दूरबीन विधि का प्रयोग किया गया। नाक के जरिए सिर के स्कैल्प से जुड़ी हड्डी तक पहुंचे। सर्जरी कर दिमाग के ऊतक (टिशू) को काटकर निकाल दिया गया। इसके बाद हड्डी के सुराख की मरम्मत की गई।
दुर्लभ है बीमारी
किशोरी अत्यंत दुर्लभ बीमारी नेजल मैनिंगो इंसीफेलोसील से जूझ रही है। इससे किशोरी को बार- बार मेनिन्जाइटिस हो जा रहा था। उसके दिमाग में संक्रमण हो जाता और तेज बुखार के साथ झटके आने लगते थे। जिससे वह अचेत हो जाती। करीब एक महीने पहले परिवारीजन उसे लेकर बीआरडी मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग पहुंचे, जहां से ईएनटी विभाग रेफर कर दिया है। एहतियात के साथ नई पद्धति से डॉक्टरों ने की सर्जरी
विभागाध्यक्ष ने बताया कि सर्जरी के लिए सिर के ऊपर की हड्डी को काटकर निकाला जाता है। इसके बाद दिमाग के अतिरिक्त टिशू को काटा जाता है। किशोरी की सर्जरी में पहली बार दूरबीन विधि का प्रयोग किया गया। जिसमें नाक के जरिए टिशू तक पहुंच गया। यहां देखा, गया की नाक को सिर से जोड़ने वाली हड्डी (किनीफार्म प्लेट) में बने सुराख से दिमाग के टिशू की एंट्री हुई। यह नाक की मुख्य हड्डी एथमॉइड का ही एक हिस्सा होता है। यह धीरे-धीरे नाक में विकसित होने लगा।