महिला मजदूरों के लिए योग का प्रशिक्षण
ग्रामीण क्षेत्रों में महिला किसानों और धान की खेती में संलग्न महिला मज़दूरों के स्वास्थ्य और सशक्तिकरण को ध्यान में रखते हुए ये विशेष योग प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य शारीरिक श्रम से जुड़ी समस्याओं को कम करना, मानसिक तनाव को दूर करना और जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाना रहा। इस आयोजन की संरक्षक एवं मुख्य अतिथि प्रोफेसर पूनम टंडन, कुलपति, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर रही।
कुलपति ने दीप प्रज्ज्वलित किया
कार्यक्रम की शुरुआत कुलपति द्वारा मां सरस्वती के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर एवं दीप प्रज्वलित किया गया। सभी अतिथियों का स्वागत प्राचार्य डॉ उग्रसेन सिंह शहीद बंधु डिग्री कॉलेज करमहाँ सरदारनगर, गोरखपुर ने किया। इस कार्यक्रम की समन्वयक प्रो दिव्या रानी सिंह, निदेशक, महिला अध्ययन केंद्र उपस्थित रही।
योग शिक्षिकाओं द्वारा कराया गया अवगत
इस योग कार्यक्रम में करीब 35 महिलाओं ने भाग लिया। प्रशिक्षित योग गुरुओं (नीलम एवं प्रियंका) द्वारा महिलाओं को विशेष योग आसनों, प्राणायाम और ध्यान की तकनीकों से अवगत कराया, जो विशेष रूप से खेतों में काम करने वाली महिलाओं की पीठ दर्द, जोड़ों की समस्या और थकान जैसी सामान्य शिकायतों को कम करने में सहायक होती हैं।
महिलाएं योग को दिनचर्या में शामिल करें : कुलपति
इस अवसर पर मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने उपस्थित महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि महिलाएं खेतों में दिन-रात मेहनत करती हैं, लेकिन अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रख पातीं। योग न केवल शारीरिक फिटनेस का माध्यम है, बल्कि मानसिक शांति और ऊर्जा का स्रोत भी है। इस कार्यक्रम के माध्यम से हम यह संदेश देना चाहते हैं कि योग को अपने दैनिक जीवन में शामिल करके महिलाएं अधिक स्वस्थ और सशक्त बन सकती हैं।
प्रो दिव्या रानी सिंह, निदेशक, महिला अध्ययन केंद्र
कार्यक्रम के संबंध में प्रो दिव्या रानी सिंह ने बताया कि महिला किसान और मजदूर रोजाना कठिन परिश्रम करती हैं, जिससे उन्हें कई शारीरिक समस्याएं झेलनी पड़ती हैं। नियमित योगाभ्यास उनके लिए एक सरल लेकिन प्रभावी समाधान हो सकता है। इसके साथ ही महिलाओं को स्तन कैंसर से बचाव के उपायों के बारे में जागरूक किया। उन्हें नियमित रूप से योग अभ्यास करने की महत्ता तथा स्व-परीक्षण (ब्रेस्ट सेल्फ एग्ज़ामिनेशन) की विधि समझाई गई, जिससे वे प्रारंभिक अवस्था में ही किसी भी असामान्य गांठ या परिवर्तन को पहचान सकें। इससे न केवल रोग की समय रहते पहचान संभव हो पाती है, बल्कि इसके संभावित गंभीर दुष्परिणामों से भी बचा जा सकता है।” कार्यक्रम में शाहिद बंधू सिंह महाविद्यालय की गृह विज्ञान की शिक्षिका डॉ पूनम प्रजापति भी उपस्थिति रही इनके सहयोग से कार्यक्रम सफल रहा। महाविद्यालय की शिक्षिकाओं के साथ साथ गृह विज्ञान विभाग की शोध छात्राएं काजोल आर्यन, शिवांगी मिश्रा , कीर्ति उपस्थित रही।