jabalpur : शहर विकास के लिए राशि की कमी है। काम अटके हुए हैं लेकिन निगम आय बढ़ाने में फिसड्डी साबित हो रहा है। निगम ने संपत्तियों का रिकॉर्ड अपडेट करने स्मार्ट सिटी के तहत सभी 79 वार्डों का सर्वे कराया। इसमें 25 हजार के लगभग नई संपत्ति सामने आईं, जो निगम के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं थीं। लेकिन अब तक इसमें से मात्र नौ हजार के लगभग संपत्ति निगम के रिकॉर्ड में दर्ज हो सकी हैं। ऐसे में इस वित्तीय वर्ष में इन संपत्तियों से आय होने की संभावना खत्म हो गई है। अगर सभी नई संपत्तियां निगम के राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज हो जाती तो निगम की आय में खासा इजाफा होता।
jabalpur : तंगहाली से जूझ रहे नगर निगम को फरवरी-मार्च में सपत्ति कर, लाइसेंस, जल कर से बड़ी आस
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jabalpur : 3.5 करोड़ से हुआ था सर्वे
निगम ने 3 डी जीआईएस सर्वे पर साढ़े तीन करोड़ रुपये की राशि खर्च की थी। प्रोजेक्ट के तहत नगर के सभी 79 वार्डों का ड्रोन सर्वे करने के बाद संपत्तियों का भौतिक रूप से भी सर्वे किया गया था। वार्ड स्तर के डाटा का विश्लेषण कर छिपी हुई संपत्तियां भी उजागर हुईं। इनसे निगम की आय बढऩे का दावा किया जा रहा था लेकिन सर्वे की जानकारी का उपयोग कर निगम अब तक राजस्व रेकॉर्ड अपडेट नहीं कर सका है।
jabalpur : अब संपत्ति कर व अन्य शुल्क से आस
ऐसे में अब कर वसूली से ही आस है कि वित्तीय वर्ष के अंतिम दो महीनों में संपत्ति कर, जल शुल्क, लायसेंस शुल्क, डोर टू डोर शुल्क, दुकान किराया समेत अन्य मदों से निगम के खजाने में कुछ राशि जमा हो तो निगम को कुछ राहत मिले।
वित्तीय वर्ष के 10 महीनों में लक्ष्य का आधा राजस्व भी अर्जित नहीं हो सका है। उल्लेखनीय हैकि 270 करोड़ रुपए के लक्ष्य के मुकाबले अब तक मात्र 130 करोड़ का राजस्व ही संग्रहित हो सका है।
jabalpur : बड़े बकायादारों को चिन्हित कर राजस्व वसूली का अभियान चलाया जा रहा है, कुर्की की कार्रवाई भी की जा रही है। नई संपत्तियों से भी राजस्व वसूली की जा रही है।
पीएन सनखेरे, उपायुक्त राजस्व
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