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कानपुर

डीएम बोले- सीएम के निर्देश पर समीक्षा में हुआ खुलासा, प्रदेश की सबसे पुरानी परियोजना वह भी अधूरी

oldest project of state incomplete in 10 years कानपुर में 10 साल से बन रही अटल बिहारी बाजपेई ऑडिटोरियम अभी भी बनकर तैयार नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर हुई समीक्षा में खुलासा हुआ। जिलाधिकारी ने कहा कि किसी निर्माण कार्य का पहला मानक बोर्ड लगाकर परियोजना संबंधी जानकारी देना है। वह भी नहीं किया गया।

कानपुरFeb 21, 2025 / 07:29 pm

Narendra Awasthi

oldest project of state incomplete in 10 years कानपुर में माध्यमिक शिक्षा परिषद कानपुर में अटल बिहारी वाजपेई ऑडिटोरियम का निर्माण करवा रहा है। परियोजना सितंबर 2010 में शुरू हुई थी करीब 10 साल पूरे होने के बाद भी अभी पूरी नहीं हुई है पहले सिडको को बना रहा था‌। लेकिन ना बन पाने के कारण ठेका दे दिया गया। ठेकेदार भी परियोजना को पूरा नहीं कर सका। जिससे उसकी लागत भी कई गुना बढ़ गई मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने समीक्षा की। आज अटल बिहारी बाजपेई ऑडिटोरियम की जमीनी हकीकत को देखने पहुंचे। उन्होंने कहा कि शुरुआती मानक को ही पूरा नहीं किया गया। दोनों विभाग के लखनऊ में बैठे उच्चाधिकारियों को इसकी जानकारी देकर जवाबदेही तय करने को कहा जाएगा। ‌जिससे परियोजना पूरी होने के बाद उसका लाभ लोगों को मिल सके।
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उत्तर प्रदेश के कानपुर के डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा विभाग की तरफ से अटल बिहारी बाजपेई ऑडिटोरियम बनाया जा रहा है। सितंबर 2015 में परियोजना शुरू हुई थी। सिडको को इसका काम दिया गया था। लेकिन काम पूरा न होने की स्थिति में काम ठेके पर दे दिया। लेकिन ठेकेदार ने भी काम नहीं किया। जिससे परियोजना लागत 8.63 करोड़ पहुंच गई है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर परियोजना की समीक्षा की गई। जिससे जानकारी हुई कि यह परियोजना जनपद यह प्रदेश की सबसे पुरानी परियोजना है। ‌जो 10 वर्षों में भी पूरी नहीं हुई है।

अधिशासी अभियंता को 2 वर्ष पूरे

जिलाधिकारी ने कहा कि यूपी सिडको के अधिशासी अभियंता मनोज दो वर्षों से यहीं पर है। आज भी कोई विशेष काम नहीं चल रहा है। हवाई वादे जरूर कर रहे हैं कि सितंबर तक पूरा हो जाएगा। यूपी सिडको के वर्तमान और पूर्ववर्ती अधिकारियों ने परियोजना को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है। किसी परियोजना को शुरू करने के लिए का एक मानक होता है कि कार्यस्थल पर एक बोर्ड लगाया जाता है। जिसमें परियोजना से संबंधित सारी डिटेल दी जाती हैं। लेकिन वह बोर्ड भी नहीं लगा है।

सिडको के अधिकारियों पर कार्रवाई

यूपी सिडको के एक्सईएन को विशेष प्रतिकूल प्रविष्टि दी जा रही है। लखनऊ प्रबंध निदेशक से भी परियोजना की जांच को कहा जाएगा। 10 साल के बाद भी जब परियोजना का काम रुका हुआ है तो जो उत्तरदाई हैं, उनकी जिम्मेदारी तय कर दें। जिससे परियोजना पूरी हो जाए। अभी 4 करोड़ लग चुके हैं। और इतना ही और लगना है।

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