याचिकाकर्ता ने दिया ये तर्क
पीआईएल में जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 53(2) तथा संबंधित चुनाव संचालन नियमों को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता का तर्क है कि ये प्रावधान उम्मीदवारों की संख्या और सीटों की संख्या बराबर होने पर निर्वाचन अधिकारी को मतदान कराने से रोकते हैं, यानी अकेले उम्मीदवार का निर्विरोध निर्वाचन होता है। इन प्रावधानों से मतदाता ‘नोटा’ चुनने के मौलिक अधिकार से वंचित होता है।
19 मार्च को होगी अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने पीयूसीएल के मामले में 2013 में निर्णय दिया था कि ईवीएम पर नोटा विकल्प चुनकर नकारात्मक वोट डालने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत संरक्षित है। इस मामले पर 19 मार्च को आगे सुनवाई होगी।
सूरत में हुआ था निर्विरोध चुनाव
पिछले लोकसभा चुनाव में गुजरात की सूरत सीट पर भाजपा का इकलौता उम्मीदवार मैदान में होने के कारण उसे बिना मतदान के निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया था। देश में अब तक लोकसभा और विधानसभा चुनावों में 258 लोग निर्विरोध सांसद या विधायक बने हैं।