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![Indian Rupee Symbol](https://cms.patrika.com/wp-content/uploads/2025/02/6134423320280548114.jpg)
विपक्ष हमलावर, पर सरकार ने आलोचनाओं को किया खारिज
रुपए की गिरती कीमत को लेकर विपक्ष सरकार पर वैसे ही हमलावर है, जैसे 2014 से पहले भाजपा यूपीए सरकार पर हुआ करती थी। तब भाजपा नेताओं ने इसे ‘राष्ट्रीय शर्म’ तक कह दिया था और मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग की थी। आज विपक्ष के हमलों को सरकार सीधे तौर पर खारिज कर रही है।
![rupees downfall](https://cms.patrika.com/wp-content/uploads/2025/02/image_e26287.png?w=640)
ऐसे गिरता गया रुपया
2000 से 2010 के बीच एक डॉलर के मुक़ाबले रुपए की कीमत कुछ खास नहीं बढ़ी थी। इन दस सालों में एक डॉलर की कीमत 44 से 48 रुपए के बीच ही ऊपर नीचे होती रही थी। लेकिन अगले दस सालों में यह उछाल काफी बढ़ गया। 2010 से 2020 के बीच एक डॉलर की कीमत 45 से 76 रुपए के बीच रही। 2004 से 2014 के दस सालों (जब कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए की सरकार रही) एक डॉलर की कीमत 45 से अधिकतम 62 रुपए तक गई थी। 2014 से 2024 की तुलना करें तो 62 से बढ़ते-बढ़ते एक डॉलर की कीमत 83 रुपए पर पहुंच गई। 2025 की शुरुआत में ही यह 87 का आंकड़ा पार कर गया ।मनमोहन बनाम मोदी राज में रुपए की हालत
मनमोहन और मोदी राज में डॉलर की तुलना में रुपए की हैसियत की तुलना करें तो 2004 से 2014 के बीच जहां एक डॉलर की कीमत 17 रुपए ज्यादा हो गई, वहीं 2014 से 2024 के बीच यह आंकड़ा 21 रुपए रहा। 2004 से 2014 के दौरान तीन साल (2005, 2007 और 2010) ऐसे रहे जब पिछले साल के मुक़ाबले रुपए ने अपनी स्थिति थोड़ी मजबूत की, लेकिन 2014 से 2024 के बीच ऐसा एक बार (2021 में) ही हुआ।
किन बातों पर निर्भर है रुपए की मजबूती
निर्यात: अगर आयात से ज्यादा निर्यात हो, यानि दूसरे देशों से सामान मंगवाने से ज्यादा अपने देश से उनके यहां भेजा जाए तो रुपया मजबूत बनता है।
महंगाई: महंगाई काबू में रहे तो लोगों के पास क्रय शक्ति बनी रहती है और यह रुपए को भी मजबूती देता है।
देश-दुनिया के हालात: राजनीतिक अस्थिरता, देशों के साथ कमजोर संबंध जैसे कारक निवेशकों का भरोसा तोड़ते हैं और करेंसी का मूल्य भी कम करते हैं।
विदेशी निवेश: विदेशी निवेश (एफ़डीआई) के लिहाज से माहौल अनुकूल हो तो मुद्रा भी मजबूत बनी रहती है।
…तब क्या कहते थे भाजपा नेता
जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने कुछ इस अंदाज में रुपए की गिरती कीमत पर तत्कालीन केंद्र सरकार पर हमला बोला था:नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से करीब दो साल पहले, तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने 24 मई 2012 को कहा था, “समस्या यूरोज़ोन नहीं, यूपीए-ज़ोन है। यह एक लंगड़ी सरकार बन गई है।”