ऑनलाइन फ्रॉड करने वाले ऐसे करते हैं टारगेट
न्यायमूर्ति संदीप मौदगिल ने कहा, “वर्तमान में इमेज और वीडियो बेस्ड यौन शोषण सबसे अधिक रिपोर्ट किया जाने वाले केस हैं। यह ऑनलाइन ब्लैकमेल का एक रूप है, जो 2021 से प्रचलन में बढ़ रहा है। चिंता की बात यह है कि हाल ही में सेक्सटॉर्शन की बहुत सारी घटनाएं हुई हैं। खासकर ऑनलाइन डेटिंग के माध्यम से इसमें इजाफा हुआ है।” कोर्ट ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ऑनलाइन फ्रॉड करने वाले लोग भोले-भाले लोगों को टारगेट करते हैं, विशेषकर किशोरों को और उनसे छेड़छाड़ करते हैं, उनके वीडियो गुप्त रूप से उसकी रिकॉर्डिंग करते हैं इसके बाद धमकी देते हैं कि यदि पीड़ित उनकी वित्तीय मांगें पूरी नहीं करता है तो वे ऐसी क्लिप को ऑनलाइन पोस्ट कर देंगे। ये भी पढ़ें: ED की ‘मनमानियों’ से अदालतें हैरान, कहा – निष्पक्षता दिखाना जरूरी क्या कहता है कोर्ट
न्यायालय ने कहा कि पीड़ितों के रिजल्ट की यह रिपोर्ट विशेष रूप से बच्चों के लिए विनाशकारी हैं। “शर्मिंदगी, निराशा और अकेलेपन का अनुभव करने वाले कई पीड़ितों की मदद के लिए उनके पास कोई नहीं होता और कुछ तो बिना यह जाने कि मदद उपलब्ध है, अपनी जान लेने तक चले जाते हैं।”बता दें कि ये टिप्पणियां BNS की धारा 204, 308(2), 306(6), 318(4), 319, 61 के तहत आरोपी महिला की तीसरी जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए की गईं।