scriptसंपादकीय : कूटनीति में संयम-सम्मान से दूरी अच्छा संकेत नहीं | Editorial: Distance from restraint and respect in diplomacy is not a good sign | Patrika News
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संपादकीय : कूटनीति में संयम-सम्मान से दूरी अच्छा संकेत नहीं

वाइट हाउस में अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच तीखी तकरार ने कूटनीति की गरिमा को तार-तार कर दिया। यह आशंका तो पहले से जताई जा रही थी कि दोनों राष्ट्राध्यक्षों की मुलाकात में गर्मजोशी का अभाव रह सकता है, लेकिन किसी ने कल्पना नहीं की थी कि ट्रंप […]

जयपुरMar 02, 2025 / 11:20 pm

Sanjeev Mathur

वाइट हाउस में अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच तीखी तकरार ने कूटनीति की गरिमा को तार-तार कर दिया। यह आशंका तो पहले से जताई जा रही थी कि दोनों राष्ट्राध्यक्षों की मुलाकात में गर्मजोशी का अभाव रह सकता है, लेकिन किसी ने कल्पना नहीं की थी कि ट्रंप और उनके डिप्टी जेम्स डेविड वेंस इतनी खरी-खोटी सुनाएंगे कि जेलेंस्की को ‘बेआबरू’ होकर वाइट हाउस से निकलना पड़ेगा। याद नहीं आता कि इससे पहले किसी मेजबान राष्ट्रपति ने मेहमान राष्ट्रपति को इस तरह अपमानित कर लौटाया हो। कूटनीति में संयम और सम्मान से दूरी भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है। यह भी चिंता की बात है कि इस ‘हाई वोल्टेज ड्रामे’ से रूस-यूक्रेन युद्ध रोकने की कोशिशों को झटका लगा है। युद्ध रोकने के लिए ट्रंप खुद को ‘सर्वेसर्वा’ के तौर पर तो पेश कर ही रहे हैं, यह भी चाहते हैं कि यूक्रेन अपनी तरफ से शर्तें रखे बगैर उनकी हां में हां मिलाता रहे। अपने दूसरे कार्यकाल में ट्रंप जिस तरह विभिन्न मोर्चों पर एकतरफा फैसले कर रहे हैं, रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे गंभीर मसले पर भी वही रुख दोहराना चाहते हैं। वह उन मुद्दों पर यूक्रेन के पक्ष को नजरअंदाज कर रहे हैं, जिनको लेकर वह तीन साल से लड़ रहा है।
अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने कहा था, ‘अगर आप संघर्ष को नहीं संभाल सकते तो नेतृत्व नहीं कर सकते।’ ट्रंप एक संघर्ष को संभालने की कोशिश में संघर्ष के नए मोर्चे खोलते नजर आ रहे हैं। उनकी नजर यूक्रेन के खनिजों पर तो है, लेकिन वहां स्थायी शांति के लिए उनके पास कोई रोडमैप नहीं है। इसी मुद्दे पर जेलेंस्की उखड़े हुए हैं। वह यूक्रेन की स्थायी सुरक्षा की गारंटी चाहते हैं। यानी युद्ध खत्म होने के बाद रूस फिर बार-बार उसे आंखें न दिखाए। ट्रंप यूक्रेन को रूस के साथ समझौता करने के लिए दबाव डाल रहे हैं। यूक्रेन को वार्ता की शर्तें मंजूर नहीं हैं। ट्रंप और जेलेंस्की की बेनतीजा मुलाकात के बाद नए वैश्विक समीकरण उभरते लग रहे हैं। यूक्रेन अब तक युद्ध के मैदान में इसलिए टिका है, क्योंकि उसे अमरीका से हथियार मिल रहे हैं। यूरोपीय देशों ने कहा है कि अगर ट्रंप यह मदद रोकते हैं तो वे यूक्रेन के साथ खड़े हैं। वे रूस को ‘आक्रांता’ और यूक्रेन को ‘पीडि़त’ मानते हैं। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि यूक्रेन सिर्फ यूरोपीय देशों के भरोसे नहीं रह सकता। इन देशों के पास अमरीका जैसी उन्नत मिसाइलें, एयर डिफेंस सिस्टम और जासूसी उपकरण नहीं हैं। बेहतर होगा कि युद्ध में दोस्त बदलने के बजाय सभी देश मिलकर युद्ध रोकने की दिशा में कदम बढ़ाएं।

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