scriptप्रसंगवश: कला शिक्षा की उपेक्षा से पड़ रही बेरोजगारों पर मार | Kota Group Editor Ashish Joshi Special Article On 19th Feb 2025 On art education is affecting the unemployed | Patrika News
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प्रसंगवश: कला शिक्षा की उपेक्षा से पड़ रही बेरोजगारों पर मार

पिछले दस वर्षों में प्रदेश की स्कूलों में आर्ट एंड क्राफ्ट रूम बनवाकर केंद्र के करोड़ों रुपए खर्च कर दिए

कोटाFeb 19, 2025 / 01:46 pm

Ashish Joshi

शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीइ) के तहत स्कूली पाठ्यक्रम में चित्रकला व संगीत कला विषय के अध्ययन को अनिवार्य किया गया था। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी ये विषय रखे हुए हैं। इसके बावजूद इन विषयों को लेकर जो तस्वीर आ रही है, वह चिंताजनक है। शिक्षा महकमा बिना पढ़ाई और किताबों के हर साल स्कूलों में 80 लाख विद्यार्थियों को कला शिक्षा में ग्रेड देकर उत्तीर्ण कर रहा है। इससे भी बड़ी चिंता की बात यह है कि प्रदेश के सत्तर हजार स्कूलों में कला विषय पढ़ाने की जिम्मेदारी भी दूसरे विषयों के शिक्षकों पर है। मनोवैज्ञानिक तौर पर यह साफ हो चुका है कि योग्य कला शिक्षकों के अभाव में बच्चों के रचनात्मक विकास में बाधा आ सकती है।
हैरत की बात यह है कि कला शिक्षा के लिए केंद्र की ओर से भी राज्य को हर साल लाखों का बजट भी दिया जा रहा है। पिछले दस वर्षों में प्रदेश के स्कूलों में आर्ट एंड क्राफ्ट रूम बनवाकर केंद्र के करोड़ों रुपए खर्च कर दिए गए। शिक्षकों के अभाव में इनका कोई उपयोग नहीं हो पा रहा। स्कूली स्तर पर उपेक्षा का आलम यह है कि शिक्षा विभाग ने कला शिक्षा विषय की किताबें छापना ही बंद कर दिया है।
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पिछले वर्ष दिसंबर में राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में कला शिक्षकों के पदों के सृजन और उन पर भर्तियां करने की कार्ययोजना के बारे में जवाब मांगा था। हाईकोर्ट ने साफ कहा था कि जब कला अनिवार्य विषय है तो स्कूलों में इन्हें पढ़ाने वालों की भी नियुक्ति होनी चाहिए।
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एक तरफ स्कूलों में शिक्षकों के पद खाली हैं, वहीं दूसरी तरफ संगीत, मूर्तिकला और चित्रकला के करीब 20 हजार से ज्यादा प्रशिक्षण प्राप्त बेरोजगार युवक कला शिक्षक के पदों पर भर्ती का इंतजार कर रहे हैं। दिल्ली, उत्तरप्रदेश व दूसरे कई राज्य अपने यहां स्कूलों में कला शिक्षा से जुड़े विषयों की पढ़ाई करा रहे हैं। हालत यह है कि राजस्थान के प्रशिक्षित बेरोजगार दूसरे राज्यों में नौकरी की तलाश में पलायन को मजबूर हैं। सरकार को नई शिक्षा नीति और आरटीइ के प्रावधानों के तहत पहली से दसवीं कक्षा तक अनिवार्य कला शिक्षा का प्रावधान कर कला, चित्रकला और संगीत विषय के शिक्षण के लिए द्वितीय और तृतीय श्रेणी शिक्षकों की भर्ती करनी चाहिए।
  • आशीष जोशी: ashish.joshi@epatrika.com

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