scriptसृजन की सुरक्षा 2025: हर बेटी, एक पौधा–पसूंद से शुरू हुआ हरियाली और हक का नया पर्व | Protection of Creation 2025: Every daughter, one plant – a new festival of greenery and rights started with Pasund | Patrika News
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सृजन की सुरक्षा 2025: हर बेटी, एक पौधा–पसूंद से शुरू हुआ हरियाली और हक का नया पर्व

राजस्थान के एक छोटे से गाँवपसूंद में इन दिनों नई खुशबू है—बेटियों के जन्म की। लेकिन यह सिर्फ जश्न नहीं, हर बेटी के साथ धरती को भी जीवन देने वाला संकल्प है।

राजसमंदMay 21, 2025 / 12:27 pm

Madhusudan Sharma

बेटियों के नाम पर पौधरोपण करते जिला एवं सत्र न्यायाधीश राघवेन्द्र काछवाल

बेटियों के नाम पर पौधरोपण करते जिला एवं सत्र न्यायाधीश राघवेन्द्र काछवाल

राजसमंद. राजस्थान के एक छोटे से गाँवपसूंद में इन दिनों नई खुशबू है—बेटियों के जन्म की। लेकिन यह सिर्फ जश्न नहीं, हर बेटी के साथ धरती को भी जीवन देने वाला संकल्प है। यहाँ एक अनूठी पहल शुरू हुई है, जिसका नाम है “सृजन की सुरक्षा 2025”, और इसकी नींव रखी है न्यायपालिका ने। इस पहल ने न सिर्फ बालिका सशक्तिकरण को नया आयाम दिया है, बल्कि हरियाली को भी उससे जोड़कर समाज में बदलाव की मजबूत नींव डाल दी है।

बेटी के जन्म पर बोया गया भविष्य – हर बेटी के नाम 11 पौधे

“बेटी बोझ नहीं, वरदान है।” इस भावना को धरातल पर उतारती है “सृजन की सुरक्षा 2025”, जिसके तहत हर नवजात बेटी के जन्म पर 11 पौधों का रोपण किया जाएगा। इस अभिनव योजना की शुरुआत पसूंद ग्राम पंचायत से हुई, जहां एक ही दिन में 51 पौधे लगाए गए, जो हाल ही में जन्मी चार बेटियों की खुशी और गौरव के प्रतीक हैं। इन बच्चियों के संरक्षकों को दिए गए “ग्रीन गर्ल यूनिक आईडी कार्ड” न सिर्फ पहचान का प्रमाण हैं, बल्कि जिम्मेदारी का वचन भी।

न्यायपालिका ने दिखाई राह, गांव ने थामा हाथ

इस नवाचार की औपचारिक शुरुआत की जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राजसमंद के अध्यक्ष राघवेन्द्र काछवाल ने। कार्यक्रम में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ममता सैनी, ग्राम पंचायत सरपंच अयन जोशी, व कनिष्ठ सहायक जयप्रकाश शर्मा सहित सैकड़ों ग्रामीण मौजूद रहे। सभी ने इस योजना को न सिर्फ सराहा, बल्कि इसे बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की मजबूत कड़ी बताया।

“हर बेटी, हरियाली का बीज है”– न्यायाधीश काछवाल

मुख्य वक्ता राघवेन्द्र काछवाल ने अपने संदेश में कहा, “जब बेटी जन्म ले, तो पूरा गांव जश्न मनाए। अगर हम उसे शिक्षा, सुरक्षा और अवसर दें, तो वो समाज का भाग्य बदल सकती है। हर पौधा सिर्फ हरियाली नहीं, एक नई सोच की जड़ है।”उन्होंने नवजात बच्चियों को उपहार भेंट किए और परिवारों को शुभकामनाएं देते हुए इस पहल को सामाजिक संस्कार बनाने का आह्वान किया।

एक नवाचार, कई उद्देश्य – क्यों खास है ये योजना?

  • कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ मजबूत सामाजिक संदेश
  • बालिका शिक्षा और विधिक अधिकारों पर जागरूकता
  • प्राकृतिक संतुलन और हरियाली का विस्तार
  • सामुदायिक भागीदारी से वृक्षारोपण को सामाजिक परंपरा बनाना
  • हर पौधा एक प्रतीक – बेटी के विकास के साथ उसका पालन-पोषण

राजस्थान से उठी गूंज, पूरे देश में फैलने की उम्मीद

राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा यह योजना पूरे राज्य में लागू की जा रही है। हर जिले में एक पंचायत को चयनित किया गया है, और राजसमंद के लिए पसूंद ग्राम पंचायत को यह गौरव मिला है। प्राधिकरण के सचिव भारत भूषण पाठक के अनुसार, यह पायलट परियोजना ईको-फेमिनिज्म को मूर्त रूप देती है—जहां प्रकृति और नारी दोनों का संरक्षण एक ही पहल में समाहित है।

“ग्रीनगर्ल”आईडी: पौधे से बेटी की पहचान जुड़ी

हर बेटी को मिलेगा “ग्रीन गर्ल यूनिक आईडी कार्ड”, जिसमें दर्ज होंगे उसके नाम से लगाए गए 11 पौधों की जानकारी—कौन सा पौधा है, कहाँ लगाया गया, और उसकी स्थिति क्या है। ये आईडी भविष्य में पर्यावरणीय एवं सामाजिक पहल में भी उसकी भूमिका को चिन्हित करेंगे।

गांव ने अपनाया, समाज ने सराहा

ग्राम पंचायत पसूंद के लोग इस पहल को अपनाकर सामाजिक क्रांति का हिस्सा बन गए हैं। ग्रामीणों ने इस कार्यक्रम में न केवल भागीदारी की, बल्कि यह भी संकल्प लिया कि अब से हर बेटी के जन्म पर गांव में हरियाली बढ़ेगी।

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