कैसे शुरू हुआ घटनाक्रम?
मंगलवार सुबह, जब राजसमंद कलेक्टर कार्यालय की आधिकारिक मेल आईडी पर एक संदिग्ध मेल आया, तो पहले तो इसे सामान्य माना गया। लेकिन जब मेल का विवरण पढ़ा गया, तो अधिकारियों के होश उड़ गए। मेल में लिखा था कि कलक्ट्रेट परिसर में आरडीएक्स प्लांट कर दिया गया है और इसका टाइमर अपराह्न 3:30 बजे के लिए सेट कर दिया गया है। यह सीधे एक सुनियोजित धमकी प्रतीत हो रही थी। कलेक्टर कार्यालय ने तत्काल इसकी जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दी और पुलिस अधीक्षक मनीष त्रिपाठी के निर्देश पर पूरा परिसर खाली कराया गया। लोगों को बिना कोई जोखिम लिए तुरन्त बाहर निकाला गया और पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी गई।
एटीएस, डॉग स्क्वॉड और बम निरोधक दस्ता मौके पर
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए उदयपुर से एंटी टेररिज्म स्क्वॉड (ATS), बम डिस्पोजल स्क्वॉड और स्नाइफर डॉग टीम को तुरंत बुलाया गया। ये टीमें दोपहर से लेकर शाम तक पूरे परिसर की गहन तलाशी में जुटी रहीं। हर कमरे, फाइलिंग सेक्शन, छत, पार्किंग एरिया, स्टाफ कैफेटेरिया, शौचालय और गार्डन तक को छाना गया। करीब शाम 4:30 बजे तक चले इस तलाशी अभियान में कोई भी विस्फोटक पदार्थ नहीं मिला। पुलिस अधीक्षक त्रिपाठी ने स्वयं पुष्टि की कि परिसर पूरी तरह सुरक्षित है और कोई आपत्तिजनक वस्तु नहीं पाई गई है।
कर्मचारियों में दहशत और भगदड़
धमकी मिलने के बाद जैसे ही कार्यालय खाली कराया गया, अफसरों और कर्मचारियों के बीच दहशत फैल गई। कुछ लोग घबराकर इधर-उधर भागते देखे गए। कर्मचारियों को बाहर खुले मैदान में खड़ा किया गया, जबकि कुछ लोगों ने अपने वाहनों में शरण ली। सभी के चेहरों पर डर साफ झलक रहा था।
मेल में लिखे थे तकनीकी शब्द
संदिग्ध मेल में “आरडीएक्स” और “टाइमर सेट” जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया था। इससे पुलिस को शक हुआ कि मेल भेजने वाला कोई तकनीकी जानकारी रखने वाला व्यक्ति हो सकता है, या फिर ऐसा दिखावा कर रहा हो। यह शब्दावली आतंकवादी गतिविधियों में प्रयुक्त तकनीकों की ओर इशारा करती है।
आसपास के पांच जिलों को भी मिली थी धमकी
राजसमंद के अलावा, यह धमकी भरे मेल अजमेर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, पाली और नागौर जिलों के कलेक्टरेट कार्यालयों को भी भेजे गए। कुल मिलाकर छह जिलों में एक साथ मेल भेजा गया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि यह कोई संयोग नहीं, बल्कि एक सुनियोजित प्रयास था जिससे पूरे प्रशासनिक ढांचे में दहशत फैलाई जा सके।
क्या यह मॉक ड्रिल थी?
प्रारंभ में कुछ लोगों को यह भ्रम हुआ कि यह कोई सुरक्षा अभ्यास हो सकता है। लेकिन बाद में प्रशासन ने पुष्टि की कि यह कोई मॉक ड्रिल नहीं, बल्कि वास्तविक धमकी है। इसलिए हर स्तर पर मामले को गंभीरता से लिया गया।
मामला दर्ज, साइबर यूनिट और एटीएस कर रही जांच
राजनगर थाने में कलक्ट्रेट कार्यालय के स्थापना अधिकारी बाबूलाल बुनकर ने अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि धमकी भरा मेल कलेक्टर ऑफिस की ऑफिशियल मेल आईडी पर आया था, जिसमें 3:30 बजे विस्फोट की बात कही गई थी। अब इस केस की जांच साइबर क्राइम यूनिट और एटीएस की संयुक्त टीम कर रही है। जांच का फोकस इस पर है कि मेल किस IP एड्रेस से भेजा गया, किस नेटवर्क का प्रयोग हुआ और क्या यह कोई विदेशी या घरेलू स्रोत है। पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि कहीं यह किसी पुराने अपराधी या संगठित साइबर गैंग की करतूत तो नहीं।
डीजीपी को दी गई पूरी जानकारी
घटना की गंभीरता को देखते हुए राजस्थान के पुलिस महानिदेशक (DGP) को भी तुरंत सूचित किया गया। डीजीपी स्तर पर इस मामले की लगातार निगरानी की जा रही है और सभी संबंधित जिलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। ऐसे मामलों में समन्वय और फुर्ती ही सबसे बड़ा बचाव होता है, जिसे इस बार प्रशासन ने बखूबी निभाया।
प्रशासन की तेजी से टला बड़ा हादसा
धमकी मिलते ही जिस प्रकार प्रशासन ने बिना कोई विलंब किए हर आवश्यक कदम उठाए, वह काबिले-तारीफ है। परिसर को खाली कराना, स्पेशल फोर्सेस को बुलाना, कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और जनता में दहशत को नियंत्रण में रखना ये सभी पहलू प्रशासन की तत्परता का परिचायक हैं। अगर कहीं थोड़ी भी चूक होती तो यह एक भयावह स्थिति में बदल सकती थी। राजसमंद पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों और बम निरोधक दस्ते की चुस्ती ने एक संभावित बड़े हादसे को टाल दिया।
अब क्या अगला कदम?
अब पुलिस और खुफिया एजेंसियां मेल भेजने वाले व्यक्ति की तलाश में जुट गई हैं। साइबर एक्सपर्ट्स ईमेल ट्रेस कर रहे हैं। शुरुआती जांच में यह संकेत मिले हैं कि मेल जीमेल अकाउंट से भेजा गया था, जो हाल ही में बना था और किसी VPN नेटवर्क से लॉगइन किया गया था। एटीएस ने इस पहलू की भी जांच शुरू की है कि क्या यह कोई आतंकी संगठन या असंतुष्ट समूह तो नहीं, जो प्रशासनिक तंत्र में अव्यवस्था फैलाना चाहता है।