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Rajsamand News : खतरे की घंटी : फसलों से गायब हो रही हरीतिमा, पौधों की वृद्धि भी प्रभावित

जिले की भूमि की स्थिति खराब होती जा रही है। जमीन में पौषक तत्वों की कमी के कारण पौधों में से हरीतिमा के साथ वृद्धि भी प्रभावित हो रही है।

राजसमंदFeb 06, 2025 / 11:04 am

himanshu dhawal

हिमांशु धवल
राजसमंद.
जिले की जमीन की सेहत बिगड़ती जा रही है। इसके कारण फसलों से हरीतिमा घट रही है और पौधों की वृद्धि प्रभावित होने के साथ ही उत्पादन में भी कमी आने लगी है। सर्वाधिक स्थिति जिले के रेलमगरा क्षेत्र की है। यहां की जमीन में लवणीयता और क्षारीयता बढ़ती जा रही है। मिट्टी के नमूनों की जांच में कई पौषक तत्वों की कमी मिली है। जिले में 1,07,079 हजार कृषि योग्य भूमि है। इसमें सिंचिंत और असिचिंत दोनों ही शामिल है। वर्तमान में करीब 59 हजार हेक्टेयर में रबी की बुवाई की गई है। खेती में समय से साथ उर्वरकों का अधिक उपयोग करने और मृदा की समय-समय पर जांच नहीं कराने के कारण मिट्टी की सेहत बिगडऩ़े लग गई है। रेलमगरा ब्लॉक में जमीन में क्षारीयता व लवणीयता बढ़ती जा रही है। यही स्थिति कई ग्राम पंचायतों की है। भूमि में लगातार पौषक तत्वों की कमी के कारण फसलों पर दिखाई देने वाली हरीतिमा घट और पत्तियों में पीलापन बढ़ता जा रहा है। पौधों की वृद्धि प्रभावित होने के कारण उत्पादन पर भी इसका असर दिखाई दे रहा है, यदि जल्द इस और ध्यान नहीं दिया गया तो आगामी वर्षो में स्थिति विकट हो जाएगी। पूरे जिले की 25 प्रतिशत जमीन में सूक्ष्म पोषक तत्व और जस्ता की कमी पाई गई है। ऐसे में समय रहते जमीन की सेहत सुधारने के लिए युद्ध स्तर पर उपाय किए जाने की आवश्यकता है।

क्षारीयता और लवणीयता से पड़ता प्रभाव

कृषि विभाग के जानकारों के अनुसार भूमि में क्षारीयता बढऩे के कारण सोडियम की मात्रा अधिक होने से खेत में चिकनाई बढ़ती जाती है। एसएआर बढ़ जाता है। इसके कारण पौधों में अंकुरण और वृद्धि प्रभावित होती है। जमीन में सोडियम के आलवा अन्य पौषक तत्व तय मात्रा से कम होने के कारण लवणीयता की श्रेणी में आते हैं। यह समस्या उन स्थानों पर सर्वाधिक होती है जहां खेतों में जल निकासी की व्यवस्था अच्छी नहीं होती है। क्षारीयता और लवणीयता की कमी के कारण भूमि में जैविक कार्बन, नत्रजन और फासफोरस की मात्रा प्रभावित होती है, इससे पैदावार पर असर पड़ता है।

यहां पर स्थिति खराब

रेलमगरा : गिलुण्ड, जीतावास, सांसेरा, काबरा, जूणदा व रेलमगरा पंचायत
राजसमंद : तालोस, भावा और राज्यावास
देवगढ़ : सांगावास और ताल पंचायत
भीम : कुशालपुरा और ठिकरवास पंचायत

फैक्ट फाइल (2024-25)

  • 18000 नमूनों की गई अब तक जांच
  • 11000 में नत्रजन की कमी
  • 11000 में फासफोरस की कमी
  • 1000 में लवणीयता पाई गई
  • 950 नमूनों में मिली क्षारीयता
  • 5500 नमूनों में जिंक की कमी
  • 1000 में लोह तत्व की कमी

यह करने चाहिए उपाय

: खेतों में अच्छे सड़े हुए गोबर का उपयोग करना चाहिए
: खेत में जल के निष्कासन का उचित प्रबंधन करना चाहिए
: मिट्टी जांच के बाद सिफारिश अनुसार भूमि सुधारक का उपयोग
: जैविक कार्बन की मात्रा बढ़ाने के लिए जैविक खादों का उपयोग
: मृदा के प्रकार एवं फसल की आवश्यकता के अनुसार पानी का प्रयोग

कृषि विभाग यह कर प्रयास

: ऑगेनिक फार्मिग को बढ़ावा देने अनुदान उपलब्ध कराया जा रहा
: विभाग की ओर से जिप्सम पर 50 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है।
: आधे हेक्टेयर के लिए फ्री जिप्सम कराया जा रहा उपलब्ध

हर साल जांच कराएं मृदा की, फिर करें उपयोग

काश्तकारों को प्रतिवर्ष अपने खेतों की मिट्टी की जांच करानी चाहिए। उसमें सिफारिश के अनुसार उर्वरक एवं अन्य चीजों का उपयोग करना चाहिए। लवणीयता और क्षारीयता बढऩे के कारण फसलों की स्थिति खराब हो रही है। नमूनों की जांच में जिंक की काफी कमी मिली है।

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