क्षारीयता और लवणीयता से पड़ता प्रभाव
कृषि विभाग के जानकारों के अनुसार भूमि में क्षारीयता बढऩे के कारण सोडियम की मात्रा अधिक होने से खेत में चिकनाई बढ़ती जाती है। एसएआर बढ़ जाता है। इसके कारण पौधों में अंकुरण और वृद्धि प्रभावित होती है। जमीन में सोडियम के आलवा अन्य पौषक तत्व तय मात्रा से कम होने के कारण लवणीयता की श्रेणी में आते हैं। यह समस्या उन स्थानों पर सर्वाधिक होती है जहां खेतों में जल निकासी की व्यवस्था अच्छी नहीं होती है। क्षारीयता और लवणीयता की कमी के कारण भूमि में जैविक कार्बन, नत्रजन और फासफोरस की मात्रा प्रभावित होती है, इससे पैदावार पर असर पड़ता है।यहां पर स्थिति खराब
रेलमगरा : गिलुण्ड, जीतावास, सांसेरा, काबरा, जूणदा व रेलमगरा पंचायतराजसमंद : तालोस, भावा और राज्यावास
देवगढ़ : सांगावास और ताल पंचायत
भीम : कुशालपुरा और ठिकरवास पंचायत
फैक्ट फाइल (2024-25)
- 18000 नमूनों की गई अब तक जांच
- 11000 में नत्रजन की कमी
- 11000 में फासफोरस की कमी
- 1000 में लवणीयता पाई गई
- 950 नमूनों में मिली क्षारीयता
- 5500 नमूनों में जिंक की कमी
- 1000 में लोह तत्व की कमी
यह करने चाहिए उपाय
: खेतों में अच्छे सड़े हुए गोबर का उपयोग करना चाहिए: खेत में जल के निष्कासन का उचित प्रबंधन करना चाहिए
: मिट्टी जांच के बाद सिफारिश अनुसार भूमि सुधारक का उपयोग
: जैविक कार्बन की मात्रा बढ़ाने के लिए जैविक खादों का उपयोग
: मृदा के प्रकार एवं फसल की आवश्यकता के अनुसार पानी का प्रयोग
कृषि विभाग यह कर प्रयास
: ऑगेनिक फार्मिग को बढ़ावा देने अनुदान उपलब्ध कराया जा रहा: विभाग की ओर से जिप्सम पर 50 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है।
: आधे हेक्टेयर के लिए फ्री जिप्सम कराया जा रहा उपलब्ध
हर साल जांच कराएं मृदा की, फिर करें उपयोग
काश्तकारों को प्रतिवर्ष अपने खेतों की मिट्टी की जांच करानी चाहिए। उसमें सिफारिश के अनुसार उर्वरक एवं अन्य चीजों का उपयोग करना चाहिए। लवणीयता और क्षारीयता बढऩे के कारण फसलों की स्थिति खराब हो रही है। नमूनों की जांच में जिंक की काफी कमी मिली है।- विश्वनाथ नंदी, कृषि अनुसंधान अधिकारी (रसायन) राजमसंद