रामपुर के यतीमखाने से जुड़ा है मामला
यह मामला रामपुर के कोतवाली थाने से जुड़ा है, जहां वर्ष 2016 में यतीमखाना तोड़े जाने की घटना को लेकर 2019 में आजम खां समेत अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। आरोपियों पर जबरन बेदखली, डकैती, गैरकानूनी प्रवेश और आपराधिक षड्यंत्र जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
गवाहों की दोबारा गवाही की मांग
ट्रायल कोर्ट में याचियों ने मांग की थी कि मुख्य गवाहों, विशेषकर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जफर अहमद फारूकी की दोबारा गवाही कराई जाए। इसके अलावा, उन्होंने महत्वपूर्ण वीडियो फुटेज को भी रिकॉर्ड का हिस्सा बनाने की अपील की, जो यह साबित कर सकता है कि आजम खां घटना के समय वहां मौजूद नहीं थे।
30 मई के आदेश को हाईकोर्ट में दी गई चुनौती
इस मांग को ट्रायल कोर्ट ने 30 मई 2025 को अपने आदेश में खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ याचियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट में अंतिम फैसले पर लगी रोक को फिलहाल 28 जुलाई तक के लिए बढ़ा दिया है।
आजम खां को मिल सकती है बड़ी राहत
यदि हाईकोर्ट याचिका में की गई मांगों को स्वीकार कर लेता है और गवाहों की दोबारा गवाही व वीडियो फुटेज को स्वीकार कर लिया जाता है, तो यह आजम खां व अन्य सह-आरोपियों के लिए इस मामले में बड़ी राहत साबित हो सकती है।