गेहूं व सरसों की फसलों को लेकर बढ़ी चिंता
तापमान बढऩे से सबसे ज्यादा गेहूं व सरसों की फसल को लेकर किसान चिन्तित दिखाई दे रहे हैं। कृषि अधिकारियों की माने तो, तापमान बढऩे से गेहूं का दाना सिकुड़ जाएगा तथा दानों का कम भराव एवं जल्दी पकाव होगा। गेहूं की फसल के बचाव के लिए गेहूं की फसल में बूटलीफ एवं एन्थेसिंस अवस्था पर पोटेशियम नाईट्रेट के दो प्रतिशत घोल का छिडक़ाव किया जाए। गेहूं की बालियां आते समय एस्कोर्विक अम्ल के 100 पीपीएम घोल का छिडक़ाव करने पर फसल पकते समय सामान्य से अधिक तापमान होने पर भी उपज में नुकसान नहीं होता है। उन्होंने बताया कि तापमान बढऩे से सरसों की फसल का दाना सिकुड़ेगा तथा पैदावार में भी कमी आएगी। इसके बचाव के लिए सरसों की फसल को पकाव के समय सूखे के प्रभाव से बचाने के लिए पोटेशियम नाइट्रेट 1 किलोग्राम का 100 लीटर पानी में घोल बनाकर फसलकी फूल वाली अवस्था एवं फली वाली अवस्था पर छिडक़ाव करें। यदि पानी की उपलब्धता हो तो सिंचाई करें। यह भी पढ़े…. …
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क्षेत्र के किसानों का कहना है कि फसलों पर उनके परिवार का पालन पोषण निर्भर है। फसल बढिय़ा होगी तो परिवार में आर्थिक समस्या नहीं रहेगी। गत सीजन में नरमा की फसल खराब होने पर किसानों को नुकसान उठाना पड़ा। वर्तमान में गेहूं की फसल से बड़ी उम्मीदें है। गेहूं बिजान का दायरा भी इसी वजह से बढ़ा है। बम्पर पैदावार होगी तो किसानों को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में खेतीबाड़ी करना महंगा सौंदा साबित हो रहा है। ऊपर से मौसम की मार तो कभी सिंचाई पानी की कमी से भी जूझना पड़ता है। सब अनुकूल रहे तो सबको फसलों से लाभ ही मिलेगा।
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सिंचाई पानी की कमी को लेकर किसानों की चिंता बढ़ गई है। किसानों का कहना है कि आईजीएनपी के प्रथम चरण में फरवरी व मार्च में सिंचाई पानी नहीं मिला तो रबी की सभी फसलें बर्बाद हो जाएगी। इससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ेगा। किसानों का कहना है कि सिंचाई पानी की मांग को लेकर जिले में अलग अलग स्थानों पर आंदोलन चलाए जा रहे हैं। राज्य सरकार को भी किसानों की समस्या को गंभीरता से लेते हुए समाधान करना चाहिए।
फसलों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत
सहायक कृषि अधिकारी महेन्द्र कुलडिय़ा ने बताया कि तापमान बढऩे से फसलों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। सिंचाई पानी की भी कमी चल रही है। फसलों के बचाव के लिए कृषि अधिकारियों की सलाह पर ही कीटनाशी दवाओं का छिडक़ाव करें।