पुरानी सरसों की मांग ज्यादा
दरअसल, नई सरसों में नमी ज्यादा होती है। इसका भंडारण नहीं किया जा सकता है। इसमें फफूंदी लगने का भी डर रहता है। नमी वाली सरसों में तेल की मात्रा भी कम रहती है। यही वजह है कि व्यापारी नई सरसों के कम दाम लगाते हैं। व्यापारियों को नमी वाली सरसों को पहले सुखाना पड़ता है। यही वजह है कि व्यापारी इस झंझट से बचता है। अभी अगेती सरसों में नमी के चलते भाव भी पुरानी सरसों से कम मिल पाते हैं। मंडी में पुरानी सरसों की मांग ज्यादा है। इसके दाम 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल मिल रहे हैं। अच्छे भाव मिलने की उम्मीद में कई किसान सरसों का भंडारण करके रखते हैं और बाद में महंगे दामों में बेचते हैं।सरकारी खरीद का अभी करना होगा इंतजार
सरकार ने 10 मार्च से गेहूं की सरकारी खरीद की घोषणा कर दी है, लेकिन अभी तक सरसों खरीद की तारीख तय नहीं हो पाई है। जबकि किसान लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि सरसों की खरीद की तारीख पहले घोषित होनी चाहिए। सरकारी खरीद शुरू नहीं होने की वजह से किसानों को सस्ते दामों पर सरसों बेचनी पड़ती है। ज्यादातर किसानों के पास सरसों का स्टॉक करने के लिए जगह भी नहीं है।यह भी पढ़ें:
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