यह है मामला टैक्सी चालक राहुल गोस्वामी ने बताया कि वो सवारियों को एक गांव से दूसरे गांव छोडऩे का काम करते हैं। ऐसे में रविवार को किसी व्यक्ति ने उनको 200 रुपये का नोट थमा दिया। जल्दबा•ाी में उन्होंने देखा नहीं। राहुल ने कहा कि जब वो सुबह दुकान पर कुछ लेने गया तब इसका पता चला कि ये जाली नोट है। राहुल का कहना है कि उसे याद नहीं यह नोट किस सवारी ने दिया मुझे। उसका कहना था कि ऐसे लोगो पर कार्रवाई होनी चाहिए।
पहली नजर में पहचानना मुश्किल अगर दुकानदारों को 200 के गड्डी में या अधिक संख्या में नोट के साथ एक दो नकली नोट शामिल कर दे दिए जाएं तो गिनने के क्रम में पता नहीं चलता। बहुत माहिर दुकानदार ही इसे पहचान पा रहे हैं।
ऐसे करें पहचान बाजार में 500 और 200 रुपये मूल्य के जो नकली नोट उपलब्ध है, बहुत बारीकी से देखने पर असली और नकली का फर्क पता चलता है। इनका रंग धुंधला है, ङ्क्षप्रट भी धुंधला है या पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। वाटर मार्क में गांधी जी और 200 अंकित नहीं है। हरी वाली लाइन है, जिसमें असली नोट में आरबीआई भारत लिखा हुआ है, लेकिन नकली में यह स्पष्ट नहीं है। नकली में इसका रंग नहीं बदलता। नोटों की चमक भी फीकी है। 500 रुपये मूल्य के नोट में जो गांधी जी हैं उनके कॉलर पर भारत और अंग्रेजी में इंडिया नहीं लिखा हुआ है। वाटरमार्क में गांधी और 500 नहीं लिखा हुआ है। अंक अक्षर और तस्वीर तीनों धुंधले हैं, लेकिन इसके बावजूद नोट अगर तेजी से दुकानदार गिन रहा हो तो उसकी पकड़ से यह नोट बाहर हो जाएंगे।