scriptराजस्थान के शंखवाली में चारभुजा एवं भूतेश्वर महादेव मंदिर की प्रतिष्ठा 25 मई को, बड़ी संख्या में प्रवासी होंगे शामिल | Patrika News
हुबली

राजस्थान के शंखवाली में चारभुजा एवं भूतेश्वर महादेव मंदिर की प्रतिष्ठा 25 मई को, बड़ी संख्या में प्रवासी होंगे शामिल

राजस्थान के जालोर जिले के शंखवाली में नवनिर्मित चारभुजा एवं भूतेश्वर महादेव मंदिर एवं मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा का मुख्य महोत्सव 25 मई को आयोजित किया जाएगा। इस दिन शुभ मुहूर्त में प्रतिष्ठा होगी। प्रतिष्ठा का चार दिवसीय महोत्सव 22 मई से शुरू हुआ। समस्त व्यास राजपुरोहित समाज शंखवाली के आयोजन में हो रहा महोत्सव सारणेश्वर धाम सरत के महंत शंकर स्वरूप ब्रह्मचारी महाराज एवं रविधाम थलवाड़ के महंत सत्यानन्द ब्रह्मचारी महाराज समेत अन्य साधु-संतों के सान्निध्य में आयोजित किया जा रहा है।

हुबलीMay 23, 2025 / 08:48 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

शंखवाली में नवनिर्मित मंदिर

शंखवाली में नवनिर्मित मंदिर

भजन संध्या का आयोजन
प्रतिष्ठा के दिन 25 मई को सुबह पूजन, यज्ञ कर्म, तोरण वंदन के साथ ही कलश (ईण्डा) एवं अमर ध्वज स्थापन होगा। प्रधान आचार्य सामवेदीय पंडित प्रवीण भाई ओझा आहोर है। प्रतिष्ठा महोत्सव के एक दिन पहले 24 मई को आयोजित भजन संध्या में छोटूसिंह रावणा एंड पार्टी बाड़मेर तथा नरसिंग राजपुरोहित अजीत भजनों की सुमधुर प्रस्तुति देंगे। इसके साथ ही पिछले दिनों आयोजित भजन संध्याओं में नरसिंग राजपुरोहित एंड पार्टी अजीत, संत प्रकाशदास महाराज, भवानीसिंह कोलू, अनीता जांगीड़ समेत अन्य भजन कलाकारों ने भजनों की प्रस्तुति दी। झांकी कलाकार कुणालराज एंड पार्टी दिल्ली है। मंच संचालन ऋषभ नागर शिवगंज, शैतानसिंह बावड़ी एवं पारस मोदी धुम्बडिय़ा कर रहे हैं। प्रतिष्ठा महोत्सव में कर्नाटक, तमिलनाडु, आन्ध्रप्रदेश, तेलंगाना समेत दक्षिणी भारतीय राज्यों समेत अन्य प्रदेशों से भी प्रवासी शामिल होंगे। शंखवाली वर्षों पुराना गांव है। महाभारत काल के इतिहास से जुड़ा बताते हैं।
शंख और वाली से नाम हुआ शंखवाली
ऐसा कहा जाता है कि महाभारत के समय कृष्ण भगवान के कहने से अर्जुन द्वारिका से सुभद्रा का हरण कर ले आए थे। उस वक्त शंखवाली गांव में विश्राम किया था। गांव के पास ही सुभद्रा पहाड़ी पर स्थित भाद्राजून में अर्जुन और सुभद्रा का विवाह सुभद्रा पहाड़ी पर संपन्न होने पर पूर्वज सुखदेव मुनि ने विवाह संपन्न करवाया था। कृष्ण भगवान द्वारा दहेज में शंख और सुभद्रा द्वारा वाली भेंट स्वरूप प्रदान की गई। तब से इस गांव का नाम शंखवाली पड़ा। जो आज तक इसी शंखवाली नाम से जाना जाता है। कृष्ण द्वारा पूर्वजों को निर्देश दिया गया कि घोड़े पर बैठकर जहां तक तुम्हारी इच्छा हो वहां तक की भूमि के निशान कर दो, उसके उपरांत पूर्वज भगवान के पास पुन: लौटकर आए और भगवान कृष्ण से निवेदन किया कि भगवान हमारे लिए भूमि तो पर्याप्त है लेकिन यहां पर पानी खारा होने से भूमि का क्या मतलब। तब भगवान ने कहा कि जहां तक तुम्हारी सीमा है वहां तक पानी मीठा है और पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। जबकि शंखवाली के चारों ओर पानी में खारापन है।
कांची शंकराचार्य ने बनवाया था चारभुजा मंदिर
इसके साथ ही गांव में पांडवों द्वारा उनके वनवास के समय घूमते हुए शंखवाली आए तब उनको प्यास लगी, तब पानी पीने के लिए जमीन को खोदा था। उस कुएं पर आज भी पेंचका बना हुआ है। फिर कांची के शंकराचार्य द्वारा इस गांव में भगवान चारभुजा का मंदिर बनवाया गया। यहां सुबह एवं शाम को झालर, शंख व नगाड़ों की गूंज के साथ आरती होती है। मंदिर में चतुर्भुज विष्णु के रूप में भगवान राम एवं उसके साथ बाल रूप में धनुष धारण किए भरत, लक्ष्मण और शत्रुध्न की अलौकिक प्रतिमाएं विराजमान है। हाल ही में राजपुरोहित व्यास परिवार की ओर से मंदिर का जीर्णोद्वार करवाया गया। जिसकी प्राण-प्रतिष्ठा 25 मई को हो रही है।

Hindi News / Hubli / राजस्थान के शंखवाली में चारभुजा एवं भूतेश्वर महादेव मंदिर की प्रतिष्ठा 25 मई को, बड़ी संख्या में प्रवासी होंगे शामिल

ट्रेंडिंग वीडियो