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जैसलमेर

वतन वापसी की तैयारी: अगले माह प्रस्थान को तैयार कुरजां

सरहदी जिले में पांच माह से प्रवास कर रहीं विदेशी कुरजां अब वतन वापसी की तैयारी में हैं। मध्य एशिया से आने वाले ये प्रवासी पक्षी सितंबर माह में यहां पहुंचे थे और अब बढ़ती गर्मी के साथ मार्च के पहले सप्ताह में अपने मूल निवास की ओर लौटने लगेंगे।

जैसलमेरFeb 22, 2025 / 08:36 pm

Deepak Vyas

jsm
सरहदी जिले में पांच माह से प्रवास कर रहीं विदेशी कुरजां अब वतन वापसी की तैयारी में हैं। मध्य एशिया से आने वाले ये प्रवासी पक्षी सितंबर माह में यहां पहुंचे थे और अब बढ़ती गर्मी के साथ मार्च के पहले सप्ताह में अपने मूल निवास की ओर लौटने लगेंगे।
हर वर्ष की तरह इस बार भी हजारों कुरजां पक्षी हिमालय की ऊंचाइयों को पार कर राजस्थान के विभिन्न जलस्त्रोतों और तालाबों पर पहुंचे। जैसलमेर जिले में पोकरण, रामदेवरा, खेतोलाई, सोढ़ाकोर, गुड्डी गांव स्थित रिण और भणियाणा तालाब जैसे स्थानों पर इनका डेरा रहा। इन पक्षियों की चहचहाहट से सुबह और शाम का वातावरण गुंजायमान होता रहा।

रामदेवरा में इस बार अधिक दिखीं कुरजां

पश्चिमी राजस्थान के फलोदी जिले के खींचन में हर साल सबसे ज्यादा कुरजां पहुंचती हैं, जहां इनके लिए विशेष व्यवस्था की जाती है। हालांकि इस वर्ष रामदेवरा के जैन धर्मशाला तालाब पर इनकी संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। स्थानीय लोगों ने इनके लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया और चुग्गे की व्यवस्था भी की, जिससे यहां बड़ी संख्या में कुरजां का ठहराव हुआ।

गर्मी बढ़ते ही करेगी प्रस्थान

सितंबर में मध्य एशिया में बर्फबारी शुरू होने के कारण भोजन की तलाश में कुरजां पश्चिमी राजस्थान आती हैं। यहां उन्हें पर्याप्त भोजन और अनुकूल मौसम मिलता है। हालांकि, फरवरी के दूसरे पखवाड़े में तापमान में वृद्धि शुरू हो चुकी है, जिससे कुरजां मार्च के पहले सप्ताह से वापसी की यात्रा शुरू कर सकती हैं।

कुरजां की विशेषताएं

वजन: 2 से 2.5 किलोग्राम
आवास: खुले मैदान और समतल भूमि

भोजन: मोतिया घास, पानी के पास मिलने वाले कीड़े-मकोड़े, तथा मतीरे की फसल
फैक्ट फाइल
10,000 से अधिक कुरजां ने इस बार सरहदी जिले का रुख किया
5 माह से जलस्त्रोतों पर डेरा डाले हुए हैं
12 से अधिक जलस्त्रोतों पर पक्षियों का प्रवास

अब लौटने की तैयारी

बीते वर्षों की तुलना में इस बार कुरजां की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई है। गत पांच माह से जिले के जलस्त्रोतों पर कुरजां का बसेरा रहा है, लेकिन गर्मी की शुरुआत के साथ अब ये लौटने की तैयारी में हैं।
-राधेश्याम पेमाणी, वन्य प्रेमी

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