रामदेवरा में इस बार अधिक दिखीं कुरजां
पश्चिमी राजस्थान के फलोदी जिले के खींचन में हर साल सबसे ज्यादा कुरजां पहुंचती हैं, जहां इनके लिए विशेष व्यवस्था की जाती है। हालांकि इस वर्ष रामदेवरा के जैन धर्मशाला तालाब पर इनकी संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। स्थानीय लोगों ने इनके लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया और चुग्गे की व्यवस्था भी की, जिससे यहां बड़ी संख्या में कुरजां का ठहराव हुआ।गर्मी बढ़ते ही करेगी प्रस्थान
सितंबर में मध्य एशिया में बर्फबारी शुरू होने के कारण भोजन की तलाश में कुरजां पश्चिमी राजस्थान आती हैं। यहां उन्हें पर्याप्त भोजन और अनुकूल मौसम मिलता है। हालांकि, फरवरी के दूसरे पखवाड़े में तापमान में वृद्धि शुरू हो चुकी है, जिससे कुरजां मार्च के पहले सप्ताह से वापसी की यात्रा शुरू कर सकती हैं।कुरजां की विशेषताएं
वजन: 2 से 2.5 किलोग्रामआवास: खुले मैदान और समतल भूमि भोजन: मोतिया घास, पानी के पास मिलने वाले कीड़े-मकोड़े, तथा मतीरे की फसल
फैक्ट फाइल
10,000 से अधिक कुरजां ने इस बार सरहदी जिले का रुख किया
12 से अधिक जलस्त्रोतों पर पक्षियों का प्रवास
अब लौटने की तैयारी
बीते वर्षों की तुलना में इस बार कुरजां की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई है। गत पांच माह से जिले के जलस्त्रोतों पर कुरजां का बसेरा रहा है, लेकिन गर्मी की शुरुआत के साथ अब ये लौटने की तैयारी में हैं।-राधेश्याम पेमाणी, वन्य प्रेमी