यह है मामला-
एक अप्रेल 2004 से पहले नियुक्त कार्मिक पुरानी पेंशन योजना से जुड़े हुए थे पर कार्मिकों के विरोध-प्रदर्शन के बाद गत प्रदेश सरकार ने एक अप्रेल 2022 के बाद न्यू पेंशन योजना को बंद करते हुए पुन: पुरानी योजना बहाल की। लेकिन, प्रदेश भर में हजारों कार्मिक पुरानी पेंशन योजना लागू होने से पहले ही एक अप्रेल 2022 से पूर्व सेवानिवृत्त हो चुके हैं और पेंशन के रूप में एनपीएस के तहत उन्होंने एनएसडीएल से 60 प्रतिशत एक मुश्त राशि एवं पेंशन-धन का 40 प्रतिशत वार्षिक या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति पर 20 प्रतिशत एक मुश्त राशि एवं पेंशन धन का 80 प्रतिशत वार्षिक पैसा प्राप्त कर लिया है। नए आदेश के तहत यदि वे पुरानी पेंशन प्राप्त करना चाहते है तो उन्हें एनपीएस के लाभ के तहत जो राशि मिली है वह तत्कालीन प्रचलित जीपीएफ के ब्याज दर से सरकार को लौटानी पड़ेगी। तब उन्हें पुरानी पेंशन के लाभ देय होंगे।
गत सरकार लाई थी ओपीएस-
प्रदेश की गत सरकार ने एक जनवरी 2004 और इसके बाद नियुक्त सरकारी कर्मियों को एनपीएस की जगह ओपीएस देने का सिस्टम लागू किया था। इसके तहत 19 मई 2022 को अधिसूचना जारी कर इसे एक अप्रेल 2022 से पुन: लागू किया। इसके बाद कर्मचारियों से एनपीएस कटौती बंद हो गई थी। एनपीएस में राज्यकर्मी का दस फीसदी पैसा कटता था तथा उतना ही सरकार जमा करवाती थी। प्रदेश में सरकार बदलने के बाद आशंका जताई जा रही थी कि एनपीएस पुन: बहाल हो जाएगी। लेकिन, अब वित्त विभाग ने एक नया आदेश जारी किया है। जो प्रदेश में ओपीएस लागू रखने का बड़ा संकेत माना जा रहा है।
एनपीएस में ये पेंच
– एनपीएस एक कंट्रीब्यूटरी स्कीम है। इसके तहत सरकारी कर्मचारी को अपनी पेंशन में मूल वेतन का 10 फीसदी देना होता है और इसमें राज्य सरकार केवल 14 फीसदी का ही योगदान देती है। – एनपीएस में सेवानिवृति के समय ग्रेच्युटी का कोई स्थायी प्रावधान नहीं है। -एनपीएस में छह माह के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता लागू नहीं होता है। – नई पेंशन स्कीम के तहत सेवानिवृत्ति पर पेंशन पाने के लिए एनपीएस फंड का 40 फीसदी निवेश करना होता है। सेवानिवृत्ति के बाद तय पेंशन की गारंटी नहीं होती।
-एनपीएस शेयर बाजार पर आधारित है। इसमें महंगाई भत्ते का प्रावधान शामिल नहीं है। -एनपीएस में सेवा के दौरान कर्मचारी की मृत्यु होने पर उनके परिजनों को कुल वेतन का 50 फीसदी पेंशन के तौर पर देने का प्रावधान है।
– एनपीएस में सेवानिवृत्ति पर शेयर बाजार के अनुसार जो भी पैसा मिलेगा। आपको उसपर टैक्स देना होता है।
ओपीएस में यह प्रावधान
– ओपीएस में सरकारी कर्मचारी के सेवानिवृत्त होने के बाद आखिरी मूल वेतन और महंगाई भत्ते की आधी रकम बतौर पेंशन ताउम्र सरकार के राजकोष से दी जाती है। -ओपीएस में हर साल दो बार महंगाई भत्ता भी बढ़कर मिलता है। पेंशन पाने वाले सरकारी कर्मचारी की मौत होने पर उसके परिवार को भी पेंशन दी जाती है। – ओपीएस में कर्मचारियों को सेवानिवृत्त होने के बाद 20 लाख रुपए तक की ग्रेच्युटी मिलती है।
-ओपीएस में कर्मचारियों के लिए 6 माह के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता लागू किया जाता है। – पेंशन कमीशन के लागू होने पर पेंशन रिवाइज्ड होने का फायदा भी सेवानिवृत्त कर्मचारी को मिलता है।
-ओपीएस में कर्मचारी के सेवानिवृत्ति पर जीपीएफ के ब्याज पर उसे किसी प्रकार का आयकर नहीं देना पड़ता।
सरकार ने प्रस्ताव मांगे तो स्वागत है-
पुरानी पेंशन बदस्तूर जारी रखे सरकार लंबे संघर्ष के बाद राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 1 जनवरी 2024 के बाद लगे कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना की सौगात दी थी। यह योजना परिवार व कार्मिक के लिए सर्वश्रेष्ठ है। वर्तमान राजस्थान सरकार े से इसको कानून समत बनाकर केन्द्र सरकार से कर्मचारियों का 52 हजार करोड़ रूपए अविलंब वापस लेना चाहिए। राजस्थान का कर्मचारी ओपीएस से किसी भी तरह की छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं करेगा। केन्द्र सरकार ने एनपीएस की जगह यूपीएस स्कीम प्रस्तुत की है, यह अब तक का सबसे बड़ा धोखा है। सरकार ने विभागाध्यक्षों से प्रस्ताव मांगे है तो कर्मचारी इसका स्वागत करते हैं।
चंदन चतुर्वेदी, जिलाध्यक्ष कर्मचारी महासंघ,झालावाड़।