Salumber News: सलूम्बर में सराड़ा उपखंड में स्थित बड़ागांव अपनी एक अनोखी पहचान के लिए चर्चा में है। ऐतिहासिक विरासत या किसी प्रमुख घटना के बजाय यह गांव ‘आम के पेड़ों वाले गांव’ के नाम से प्रसिद्ध हो रहा है।
यहां आम के सैकड़ों पेड़ न केवल इस गांव की हरियाली को सजाते है, बल्कि गांव की अर्थव्यवस्था और पहचान का भी आधार बने हुए है। गोमती नदी के किनारे बसे इस गांव में लगभग 300 घर है। गांव के लगभग हर घर के आसपास आम के पेड़ दिखाई देते है। ग्रामीणों ने बताया कि यह परंपरा उनके पूर्वजों से चली आ रही है, जिन्होंने बड़ी संख्या में आम के पेड़ लगाए थे। एक आम का पेड़ करीब दस पीढ़ियों तक फल देता है। वर्तमान में गांव में 1000 से अधिक आम के पेड़ मौजूद है। ग्रामीण नरेंद्र पटेल ने बताया कि यह केवल पेड़ नहीं है, यह हमारी विरासत है। बता दें कि यहां के लोग पेड़ों को बच्चों की तरह पालते है, इन्हें न काटते है और ना ही पत्थर मारते है।
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कभी ट्रकों में जाती थी पैदावार, अब घट रही संख्या
गांव में करीब 1000 से ज्यादा आम के पेड़ है। पहले यहां से हर साल 50 से ज्यादा ट्रक आम निकला करते थे, जिससे गांव में रोजगार और आमदनी दोनों का संबल था। लेकिन अब यह संख्या धीरे-धीरे घट रही है। ग्रामीणों का कहना है कि गोमती नदी में हो रहे अवैध खनन से जलस्तर लगातार गिर रहा है। पेड़ों की जड़े सूख रही है और आम की पैदावार में कमी आ रही है।
गांव में आम के पेड़ों की संख्या बहुतायत में देखने को मिल रही है। यहां के लोगों को आम के पेड़ों से काफी रोजगार मिलता है। लोगों की पहल व संरक्षण सराहनीय है। -सुरेश कुमार मेघवाल, पटवारी, बड़गांव
गांव के कालूलाल मीणा ने बताया कि हमारे यहां लोग आम के पेड़ को बहुत आदर से देखते है। कोई फल गिराने के लिए पत्थर नहीं फेंकता। अगर कोई फल नीचे गिरा है, तो उठा लेंगे, लेकिन पेड़ को नुकसान नहीं पहुंचाते है। ऐसे ही शुरू से ही गांव में संरक्षित किया जा रहा है।
Hindi News / Udaipur / ये है राजस्थान का ‘आमों वाला गांव’, हजारों की संख्या में है पेड़, हर साल 50 से ज्यादा ट्रकों को भरकर जाती थी पैदावार