मुख्य अतिथि प्रो. आशुतोष मिश्रा ने कार्यशाला में बताया कि प्रयोगशाला सहायक शिक्षकों के लिए सहायक होते है, उनका प्रशिक्षण इस लिए जरूरी होता है। प्रशिक्षणार्थी अपना मन लगाकर प्रशिक्षण प्राप्त करें तथा सीखी गई बातों को विद्यार्थियों को बताएं। विश्व में जितने भी सफल वैज्ञानिक हुए है उनके काम में उनके प्रयोगशाला सहायकों का योगदान अहम योगदान रहा है। प्रयोगशाला सहायकों को हैण्डलिंग के साथ-साथ मेंटेनेंस का प्रशिक्षण भी अतिआवश्यक है। प्रयोगशाला सहायकों को डेटा में शुद्धता के साथ-साथ ईमानदारी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। विज्ञान में प्रयोगशाला कार्य में एथिक्स का भी उतना ही महत्वपूर्ण है। जितना मेहनत का है। नई शिक्षा पद्धति में प्रयोगशाला को अधिक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। अत: अच्छे प्रयोगशाला सहायकों का निर्माण उनके प्रशिक्षण के द्वारा किया जा सकता है।
रसायनों का प्रयोग सावधानी से करें-
विशिष्ठ अतिथि प्रो. अजय कुमार गुप्ता ने प्रशिक्षणार्थियों को प्रयोगशाला में सावधानीपूर्वक तथा लगन से कार्य करने के लिए प्रेरित किया। अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य डॉ. गुर्जर ने कहा कि इस तरह की कार्यशाला से प्रयोगशाला सहायकों के कार्य में दक्षता निखार आएगा। प्रयोगशाला में रसायनों का उपयोग अत्यधिक सावधानी से करना चाहिए ताकि अनावश्यक दुर्घटनाओं से स्वयं तथा विद्यार्थियों को बचाया जा सके। प्राणीशास्त्र प्रयोगशाला में प्रयोगशाला सहायकों को कार्य करते समय एथिक्स का वाइल्ड लाइफ नियमों का ध्यान रखना चाहिए। विज्ञान में प्रयोगशाला कि शुद्धता तथा अद्यतन अति महत्वपूर्ण है। प्रयोगशाला सहायक प्रोफेसर तथा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के मध्य योजक कड़ी होती है। प्रो. रामकल्याण मीणा ने बताया कि प्रयोगशाला कि सफाई का प्रायोगिक कार्य में अतिमहत्व है।
जैव तकनीकी में उपकरण का प्रयोग कैसे करें-
डॉ. अशोक कुमार ने जैव रसायनिकी में प्रशिक्षणार्थियों को प्रयोगशाला में काम आने वाले उपकरणों, रसायन तथा सूक्ष्म जैविकी, जैव रसायनिकी, जैव तकनीकी में प्रयोग होने वाले उपकरणों कि कार्यप्रणाली को समझाया। प्रयोगशाला में उपकरणों को निर्जर्मीकृत करने के लिए आरोक्लेवा का उपयोग किया जाता है। इसकी कार्यप्रणाली सिद्धान्त उपयोग तथा आवश्यक सावधानियों के बारे में बताया।
उपकरणों की खरीद में गारंटी का ध्यान रखें-
कार्यशाला में संजय कुमार व्यास ने प्रयोगशाला में काम में आने वाले रिपेयरिंग प्रक्रिया के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि उपकरणों की खरीद प्रक्रिया में उनकी श्रेष्ठता के साथ गारंटी पीरियड तथा लागत को ध्यान में रखना चाहिए। 50 हजार रूपए तक की सामग्री की खरीद स्पोटपरचेंज कमेटी तथा दो लाख रूपए से कम के उपकरणों को सीमित निविदा तथा दो लाख से दस लाख तक के उपकरणों को खुली निविदा से ही खरीदा जाना चाहिए।
स्टॉक के बारे समझाया-
बजरंग विश्वकर्मा ने प्रयोगशाला भण्डार का रखरखाव, स्टॉक रजिस्टर आदि के बारे में बताया। कार्यशाला संयोजक डॉ. कुरैशी ने प्राणीशास्त्र प्रयोगशाला में एथिक्स के संबंध में बताया। साथ ही कहा कि उन प्राणी प्रादर्शों के फोटोग्राफ्स, विच्छेदन के विडियों का उपयोग विद्यार्थियों को जानकारी देने में किया जा सकता है। प्रयोगशाला सहायकों को प्राणियों के वर्गीकरण कि विधियों, वर्गीकी के बारे में बताया। विभिन्न तरह के विद्यार्थियों को विभिन्न प्रयोग को समझाने की कला प्रयोगशाला सहायकों में होना चाहिए।
कांच के सामानों का कैंसे करें रखरखाव-
कमलेश कुमार वर्मा ने प्रशिक्षणार्थियों को प्रयोगशाला में उपयोगी काँच के उपकरणों बीकर, फ्लास्क, फनल, वॉचग्लास, पेट्रीडीश, क्यूरेट, पीपेट के उपयोग के बारे में बताया। डॉ. अशोक कुमार पाटीदार ने प्रशिक्षणार्थियों को प्रयोगशाला में वर्चुअल लेब के माध्यम से विद्यार्थियों को किस प्रकार प्रयोग करके दिखाया जाये, के बारे में बताया। वर्चुअल प्रयोग लाइव करके प्रशिक्षणार्थियों को सिखाया तथा इससे संबंधित साइड के बारे में जानकारी दी। सहायक आचार्य सोनम गर्ग ने पंजीकरण किया। डॉ. विजय प्रकाश मीणा ने प्रकाश सूक्ष्मदर्शी के सिद्धान्त, कार्यप्रणाली तथा आवश्यक सावधानियों के बारे में बताया। इस मौके पर प्रो. हमीद अहमद, प्रो. प्रणव देव, प्रो वीपीसिंह, प्रो. अशोक कंवर शेखावत, प्रो. अलका बागला, सह आचार्य डॉ. राम किशन माली, डॉ. साधना गुप्ता आदि मौजूद रहे।