OTA Chennai : कठिन प्रशिक्षण प्राप्त 157 कैडेट भारतीय सेना में शामिल
यहां सेंट थॉमस माउंट के अफसर प्रशिक्षण अकादमी (ओटीए) में शनिवार को आयोजित ‘पासिंग आउट परेड (पीओपी)’ के बाद 24 महिला कैडेट समेत 157 अधिकारी भारतीय सेना में शामिल हो गए। इनके साथ ही बारह विदेशी कैडेट भी पास आउट हुए। ओटीए के ‘परमेश्वरन ड्रिल स्क्वायर’ में शानदार सैन्य परेड के साथ ‘शॉर्ट सर्विस कमीशन’ […]
यहां सेंट थॉमस माउंट के अफसर प्रशिक्षण अकादमी (ओटीए) में शनिवार को आयोजित ‘पासिंग आउट परेड (पीओपी)’ के बाद 24 महिला कैडेट समेत 157 अधिकारी भारतीय सेना में शामिल हो गए। इनके साथ ही बारह विदेशी कैडेट भी पास आउट हुए।
ओटीए के ‘परमेश्वरन ड्रिल स्क्वायर’ में शानदार सैन्य परेड के साथ ‘शॉर्ट सर्विस कमीशन’ और समकक्ष पाठ्यक्रमों के अधिकारियों का ‘पासिंग आउट’ समारोह आयोजित किया गया। कुल 133 अधिकारी कैडेट और 24 अधिकारी कैडेट (महिलाओं) को भारतीय सेना की विभिन्न शाखाओं और सेवाओं में शामिल किया गया। इसके अलावा पांच मित्र देशों के पांच विदेशी अधिकारी कैडेट और सात विदेशी अधिकारी कैडेट (महिलाओं) ने अपना प्रशिक्षण पूरा किया, जिससे अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पार सौहार्द और सहयोग के बंधन को बढ़ावा मिलेगा।
परेड का अवलोकन व संबोधन ‘पासिंग आउट परेड’ का अवलोकन नयी दिल्ली के इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल जॉनसन पी. मैथ्यू ने किया, जिन्होंने विभिन्न कैडेट को तलवार, ओटीए गोल्ड मेडल और अन्य पुरस्कार भी प्रदान किए।लेफ्टिनेंट जनरल जॉनसन ने अपने संबोधन में अधिकारी कैडेटों और ओटीए कर्मचारियों को उनकी अनुकरणीय उपलब्धियों के लिए सराहना की, और नव नियुक्त अधिकारियों को ‘राष्ट्र के प्रति निस्वार्थ सेवा’ के प्रमुख सैन्य मूल्यों को बनाए रखने और सभी प्रयासों में उत्कृष्टता के लिए प्रेरित किया।
सोनी बिष्ट ने लिखी हौसले की इबारत उत्तराखंड के हल्द्वानी की लेफि्टनेंट सोनी बिष्ट ने जिन्होंने करीब एक साल पहले ओटीए में प्रशिक्षण शुरू किया था आत्मविश्वास से लबरेज नजर आईं। उन्होंने कहा, “मैंने आर्मी पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की और बाद में जेएनवी जोधपुर से स्नातक किया। उसके बाद, मैंने एपीए स्कूल में पढ़ाया। मेरी शादी के ठीक एक महीने बाद, मेरे पति, जो कुमाऊं रेजिमेंट में थे और सिंगारी यूनिट से थे, एक सड़क दुर्घटना में दुखद रूप से मर गए। यह मेरे, मेरे परिवार और मेरे ससुराल वालों के लिए बहुत मुश्किल समय था। लेकिन मेरा मानना है कि आपका लक्ष्य चाहे जो भी हो, आपको उस पर ध्यान केंद्रित रखना चाहिए। वह ध्यान, दृढ़ संकल्प और निरंतर प्रयास आपको जीवन में किसी भी चीज़ पर काबू पाने में मदद करेगा।” बिष्ट ने कहा, “उस समय मेरे माता-पिता और ससुराल वाले दोनों ही भावनात्मक रूप से बहुत निराश थे। लेकिन मुझे पता था कि अगर मैं खुद को गिरने दूंगी, तो वे भी गिर जाएंगे। इसलिए मैंने उनके सामने खुद को मजबूत बनाए रखने का फैसला किया। मैंने अपनी एसएसबी की तैयारी पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया। मेरे पास बहुत अच्छे गुरु थे जिन्होंने मेरी बहुत मदद की। अकादमी में मेरे लिए शारीरिक और मानसिक रूप से यह बहुत कठिन था, लेकिन मेरे प्लाटून कमांडर, बटालियन कमांडर और यहां तक कि कमांडेंट भी मेरा मार्गदर्शन करने और मेरी मदद करने के लिए मौजूद थे। मैंने अपने पति का अपने काम के प्रति समर्पण और जुनून देखा।”