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आपकी बात…क्या आप मानते हैं कि पर्यावरणीय संसाधनों का सही तरह से प्रबंधन हो पा रहा है?

पाठकों ने इस सवाल पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं भेजी हैं। प्रस्तुत हैं पाठकों की कुछ प्रतिक्रियाएं

जयपुरFeb 25, 2025 / 05:29 pm

Neeru Yadav

मानव जीवन से जुड़ा मुद्दा
पर्यावरणीय संसाधनों का प्रबंधन, मानव जीवन से जुड़ा एक अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दा है, लेकिन यह जलवायु परिवर्तन, जनसंख्या में निरन्तर वृद्धि, उद्योगों के नकारात्मक प्रभाव और सरकारी नीतियों में कमी के कारण सही तरह से नहीं हो पा रहा है।
इसके बेहतर प्रबंधन के लिए अब भी बहुत कुछ करना अपेक्षित है जैसे नवीकरणीय ऊर्जा का समुचित उपयोग, कचरा प्रबंधन के नए तरीके अपनाना, वनस्पति और जीव-जन्तुओं को संरक्षित करने के नए प्रयास किए जाने के अलावा सरकारी नीतियों में सकारात्मक सुधार की जरूरत है। – संजय निघोजकर, धार (मप्र)
प्राकृतिक संसाधनों का दोहन जारी
जल, वायु व भूमि का दोहन जारी है। एक ओर तेजी से बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण व औद्योगीकरण में अनियंत्रित वृद्धि व जंगलों का नष्ट होना भारत में पर्यावरण संबंधी समस्याओं के प्रमुख कारण है। सरकार देश में विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रतिबद्ध है। फिर भी वर्षा जल संरक्षण, जैविक खेती व हरित ऊर्जा के उचित प्रबंधन की दिशा में कारगर प्रयास किए जाने की जरूरत है। – गजानन पांडेय, हैदराबाद
लोगों को जागरूक करना होगा
पर्यावरण परि+आवरण, से बना है। संसाधनों के सही तरह से प्रबंधन के लिए अब भी बड़े पैमाने पर बदलाव की जरूरत है। इसके लिए पर्यावरण नीतियों को सख्ती से लागू करना होगा और आम जनता को जागरूक करना होगा। औद्योगिक कचरा गाड़ियों के धुएं और रसायनों के कारण वायु और जल की गुणवत्ता कम होती जा रही है। ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन ग्लोबल वार्मिंग मौसम के चरम बदलाव को बढ़ा रहा है। जंगलों की अवैध कटाई और जानवरों का शिकार जैव विविधता के लिए खतरा बनता जा रहा है। स्मार्ट कृषि अपशिष्ट प्रबंधन तकनीक और जल संरक्षण के नए तरीकों को अपनाना फायदेमंद होगा। सरकार उद्योगों और आम लोगों को मिलकर संसाधनों के संतुलन उपयोग के लिए काम करना होगा। – लहर सनाढ्य, उदयपुर
कदम से कदम मिला कर करने होगे प्रयास
वर्तमान हालातों को देखते हुए यह कहने में तनिक भी संदेह नहीं हो रहा है कि पर्यावरणीय संसाधनों का अंधाधुंध प्रयोग हो रहा है। दुनियाभर में वनों की कटाई, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही है। बहुत से देश तथा ग़ैर सरकारी संगठन पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य कर रहे है, परंतु ये कदम तब तक अपनी मंज़िल तक नहीं पहुंच सकते जब तक आम नागरिक इसमें शामिल न हो। तभी वास्तविक बदलाव संभव होगा। – डॉ.अजिता शर्मा, उदयपुर
सतत प्रबंधन अब भी चुनौती

पर्यावरणीय संसाधनों का प्रबंधन अब भी प्रभावी रूप से नहीं हो पा रहा है। बढ़ती जनसंख्या, औद्योगीकरण और अनियंत्रित शहरीकरण के कारण जल, वायु और भूमि प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। प्राकृतिक संसाधनों का अतिदोहन और अव्यवस्थित कचरा प्रबंधन बड़ी समस्या बनी हुई हैं। हालांकि नवीकरणीय ऊर्जा, जल संरक्षण और पौधारोपण जैसी पहल हो रही हैं, लेकिन सख्त नीतियों, जागरूकता और सामूहिक प्रयासों की कमी के कारण संसाधनों का सतत प्रबंधन अब भी चुनौती बना हुआ है। – संजय माकोड़े, बैतूल

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