जल, वायु व भूमि का दोहन जारी है। एक ओर तेजी से बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण व औद्योगीकरण में अनियंत्रित वृद्धि व जंगलों का नष्ट होना भारत में पर्यावरण संबंधी समस्याओं के प्रमुख कारण है। सरकार देश में विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रतिबद्ध है। फिर भी वर्षा जल संरक्षण, जैविक खेती व हरित ऊर्जा के उचित प्रबंधन की दिशा में कारगर प्रयास किए जाने की जरूरत है। – गजानन पांडेय, हैदराबाद
पर्यावरण परि+आवरण, से बना है। संसाधनों के सही तरह से प्रबंधन के लिए अब भी बड़े पैमाने पर बदलाव की जरूरत है। इसके लिए पर्यावरण नीतियों को सख्ती से लागू करना होगा और आम जनता को जागरूक करना होगा। औद्योगिक कचरा गाड़ियों के धुएं और रसायनों के कारण वायु और जल की गुणवत्ता कम होती जा रही है। ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन ग्लोबल वार्मिंग मौसम के चरम बदलाव को बढ़ा रहा है। जंगलों की अवैध कटाई और जानवरों का शिकार जैव विविधता के लिए खतरा बनता जा रहा है। स्मार्ट कृषि अपशिष्ट प्रबंधन तकनीक और जल संरक्षण के नए तरीकों को अपनाना फायदेमंद होगा। सरकार उद्योगों और आम लोगों को मिलकर संसाधनों के संतुलन उपयोग के लिए काम करना होगा। – लहर सनाढ्य, उदयपुर
वर्तमान हालातों को देखते हुए यह कहने में तनिक भी संदेह नहीं हो रहा है कि पर्यावरणीय संसाधनों का अंधाधुंध प्रयोग हो रहा है। दुनियाभर में वनों की कटाई, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही है। बहुत से देश तथा ग़ैर सरकारी संगठन पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य कर रहे है, परंतु ये कदम तब तक अपनी मंज़िल तक नहीं पहुंच सकते जब तक आम नागरिक इसमें शामिल न हो। तभी वास्तविक बदलाव संभव होगा। – डॉ.अजिता शर्मा, उदयपुर