60 साल बाद बन रहा शुभ योग
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास के अनुसार महाशिवरात्रि पर्व 26 फरवरी को मनाया जाएगा। ग्रह योग की विशिष्ट स्थिति इससे पहले साल 1965 में बनी थी। 60 साल बाद फिर महाशिवरात्रि पर्व पर तीन ग्रहों की युति बनी है। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की महाशिवरात्रि 26 फरवरी, धनिष्ठा नक्षत्र, परिघ योग, शकुनी करण और मकर राशि के चंद्रमा की उपस्थिति में आ रही है। इस दिन चार प्रहर की साधना से शिव की कृपा प्राप्त होगी।महादेव को अर्पित करें ये जीज
पराक्रम और प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए सूर्य-बुध के केंद्र त्रिकोण योग का बड़ा लाभ मिलता है। इस योग में विशेष प्रकार से साधना और उपासना की जानी चाहिए। इस दिन सुबह से ही मंदिरों में शिव भक्तों की भीड़ जमा हो जाती है। सभी भक्त प्रभु की पूजा-अर्चना में जुट जाते हैं। कई लोग इस दिन अपने-अपने घरों में रुद्राभिषेक भी करवाते हैं। भगवान भोलेनाथ की कई प्रकार से पूजा अर्चना की जाती है। लेकिन महाशिवरात्रि पर यदि भक्त बेलपत्र से भगवान शिव की विशेष पूजा करें तो उनके धन संबंधी दिक्कतें दूर हो जाएंगी।महाशिवरात्रि तिथि
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 08 मिनट से होगी। इस तिथि का समापन अगले दिन 27 फरवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर होगा। महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर निशा काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। अत: 26 फरवरी को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी।चार प्रहर की पूजा का समय
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार 26 फरवरी को प्रथम प्रहर पूजा का समय शाम 06:19 बजे से रात्रि 09:26 बजे तक रहेगा। वहीं द्वितीय प्रहर पूजा का समय रात्रि 09:26 बजे से मध्यरात्रि 12:34 मिनट पर संपन्न होगा।इसके बाद 27 फरवरी को तृतीय प्रहर पूजा का समय मध्यरात्रि 12:34 बजे से सुबह 03:41 बजे तक है। चतुर्थ प्रहर पूजा का समय 27 फरवरी सुबह 03:41 बजे से सुबह 06:48 बजे तक रहेगा।