scriptMahashivratri Shubh Yog: 60 साल बाद महाशिवरात्रि पर बन रहा दुर्लभ योग, इस प्रहर में पूजा से मिलता है धन और यश | Mahashivratri Shubh Yog Par 60 Saal Baad durlabh yog ban raha hai shubh yog me shiv puja Karne se Dhan aur yash ki Prapti hoi hai After 60 years rare yoga being formed Mahashivratri | Patrika News
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Mahashivratri Shubh Yog: 60 साल बाद महाशिवरात्रि पर बन रहा दुर्लभ योग, इस प्रहर में पूजा से मिलता है धन और यश

Mahashivratri Shubh Yog: महाशिवरात्रि पर बन रहे इस दुर्लभ योग में विधि विधान से पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को मनचाहा वरदान प्रदान करते हैं। साथ ही धन वैभव के प्राप्ति होती है।

भारतFeb 07, 2025 / 11:59 am

Sachin Kumar

Mahashivratri Shubh Yog

महाशिरात्रि पर बन रहा दुर्लभ योग

Mahashivratri Shubh Yog: हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है। महाशिवरात्रि का पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन शिव जी और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस लिए शिव भक्त इसे महादेव की वैवाहिक वर्ष के रूप में बड़े धूमधाम से मनाते हैं।
महाशिवरात्रि के दिन शिवजी के भक्त श्रद्धा और विश्वास के साथ व्रत रखते हैं और विधि-विधान से शिव-गौरी की पूजा करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ पृथ्वी पर मौजूद सभी शिवलिंग में विराजमान होते हैं। इसलिए महाशिवरात्रि के दिन की गई शिव की उपासना से कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है।

60 साल बाद बन रहा शुभ योग

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास के अनुसार महाशिवरात्रि पर्व 26 फरवरी को मनाया जाएगा। ग्रह योग की विशिष्ट स्थिति इससे पहले साल 1965 में बनी थी। 60 साल बाद फिर महाशिवरात्रि पर्व पर तीन ग्रहों की युति बनी है। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की महाशिवरात्रि 26 फरवरी, धनिष्ठा नक्षत्र, परिघ योग, शकुनी करण और मकर राशि के चंद्रमा की उपस्थिति में आ रही है। इस दिन चार प्रहर की साधना से शिव की कृपा प्राप्त होगी।
शुभ संयोग और शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की आराधना करने से उनके भक्तों को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होगी। साल 1965 में जब महाशिवरात्रि का पर्व आया था। तब सूर्य, बुध और शनि कुंभ राशि में गोचर कर रहे थे।
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आगामी महाशिवरात्रि 26 फरवरी को भी मकर राशि के चंद्रमा की उपस्थिति में यही तीन ग्रह युति बनाएंगे। सूर्य और शनि पिता-पुत्र हैं और सूर्य शनि की राशि कुंभ में रहेंगे। यह एक विशिष्ट संयोग है, जो लगभग एक शताब्दी में एक बार बनता है। जब अन्य ग्रह और नक्षत्र इस प्रकार के योग में विद्यमान होते हैं। इस प्रबल योग में की गई साधना आध्यात्मिक और धार्मिक उन्नति प्रदान करती है।

महादेव को अर्पित करें ये जीज

पराक्रम और प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए सूर्य-बुध के केंद्र त्रिकोण योग का बड़ा लाभ मिलता है। इस योग में विशेष प्रकार से साधना और उपासना की जानी चाहिए। इस दिन सुबह से ही मंदिरों में शिव भक्तों की भीड़ जमा हो जाती है। सभी भक्त प्रभु की पूजा-अर्चना में जुट जाते हैं। कई लोग इस दिन अपने-अपने घरों में रुद्राभिषेक भी करवाते हैं। भगवान भोलेनाथ की कई प्रकार से पूजा अर्चना की जाती है। लेकिन महाशिवरात्रि पर यदि भक्त बेलपत्र से भगवान शिव की विशेष पूजा करें तो उनके धन संबंधी दिक्कतें दूर हो जाएंगी।

महाशिवरात्रि तिथि

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 08 मिनट से होगी। इस तिथि का समापन अगले दिन 27 फरवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर होगा। महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर निशा काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। अत: 26 फरवरी को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी।

चार प्रहर की पूजा का समय

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार 26 फरवरी को प्रथम प्रहर पूजा का समय शाम 06:19 बजे से रात्रि 09:26 बजे तक रहेगा। वहीं द्वितीय प्रहर पूजा का समय रात्रि 09:26 बजे से मध्यरात्रि 12:34 मिनट पर संपन्न होगा।
इसके बाद 27 फरवरी को तृतीय प्रहर पूजा का समय मध्यरात्रि 12:34 बजे से सुबह 03:41 बजे तक है। चतुर्थ प्रहर पूजा का समय 27 फरवरी सुबह 03:41 बजे से सुबह 06:48 बजे तक रहेगा।

चार प्रहर की पूजा देगी धन, यश, प्रतिष्ठा और समृद्धि

डा. अनीष व्यास के अनुसार महाशिवरात्रि के पर्व काल में धर्म शास्त्रीय मान्यता के अनुसार चार प्रहर की साधना का विशेष महत्व है। प्रत्येक प्रहर में भगवान शिव की उपासना के अलग-अलग प्रकार का वर्णन मिलता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यथा श्रद्धा, यथा प्रहर, यथा स्थिति और यथा उपचार के अनुसार साधना करनी चाहिए। चार प्रहर की साधना से धन, यश, प्रतिष्ठा और समृद्धि प्राप्त होती है। जिनके जीवन में संतान संबंधी बाधा हो रही हो, उन्हें भी यह साधना अवश्य करनी चाहिए।

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